हिंदू धर्म में दान को बहुत विशेष स्थान दिया गया है. इसे केवल पैसा या वस्तु देना नहीं, बल्कि एक पवित्र कर्म माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, दान करने से व्यक्ति के पाप कम होते हैं, पुण्य बढ़ता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति में मदद मिलती है। यह निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने का एक तरीका है जिससे समाज में समृद्धि और संतुलन बना रहता है। दान करने से न केवल दान देने वाले को मानसिक शांति और संतुष्टि मिलती है बल्कि यह ग्रह दोषों को शांत करने और भाग्य को मजबूत करने का भी एक प्रभावी तरीका माना जाता है। यही कारण है कि तीज-त्योहारों और विशेष अवसरों पर दान का बहुत महत्व होता है। हालांकि, दान से जुड़े नियम भी हैं जिनका पालन करना चाहिए। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि किसी को धार्मिक पुस्तक दान या गिफ्ट करना सही है या नहीं।
हिंदू धर्म में किसी को धार्मिक पुस्तक भेंट करना या दान में देना एक बहुत ही शुभ और पुण्य का काम माना जाता है। इसे ज्ञान का दान कहा गया है और ज्ञान का दान सभी दानों में श्रेष्ठ माना जाता है।
जब आप किसी को धार्मिक पुस्तक देते हैं तो आप उसे केवल एक भौतिक वस्तु नहीं दे रहे होते बल्कि आप ज्ञान, संस्कार और सद्भावना का प्रसार कर रहे होते हैं। यह एक ऐसा दान है जिसका फल कई गुना होकर लौटता है क्योंकि यह ज्ञान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता रहता है।
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धार्मिक पुस्तकें जैसे भगवद् गीता, रामायण, हनुमान चालीसा या कोई भी वेद, पुराण आदि ग्रंथ दान करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाती है।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी धार्मिक पुस्तकों का दान करना शुभ माना जाता है खासकर जब आपकी कुंडली में राहु, केतु या शनि जैसे ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो तो इनके नकारात्मक प्रभाव को कम करने में यह दान सहायक होता है। जैसे रविवार को हरिवंश पुराण का दान सूर्य ग्रह को मजबूत करता है और शनिवार को शनि चालीसा का दान शनि की दशा को सुधारता है।
हालांकि, धार्मिक पुस्तक दान करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुस्तक सही व्यक्ति को दी जाए। उसे ऐसे व्यक्ति को उपहार या दान में देना चाहिए जो सात्विक, धार्मिक और ज्ञान की कद्र करने वाला हो।
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अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को धार्मिक पुस्तक देते हैं जो उसका अपमान कर सकता है, उसे फेंक सकता है या उसे महत्व नहीं देगा तो इसका पुण्य फल नहीं मिलता, बल्कि कई बार इसे अशुभ भी माना जाता है। इसलिए हमेशा ऐसे लोगों को धार्मिक पुस्तकें दें जो उन्हें सम्मान से पढ़ेंगे और उनसे ज्ञान प्राप्त करेंगे।
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