हिंदू धर्म में कितने साल तक के बच्चे का नहीं होता अंतिम संस्कार? जानें कारण

हिन्दू धर्म में किसी भी बच्चे का अंतिम संस्कार करने से पहले उसकी आयु देखी जाती है यानी कि एक तय आयु के तहत ही किसी बच्चे का अंतिम संस्कार या तो होता है या नहीं होता है। 
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हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है जिनका व्यक्ति को अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक के बीच में पालन करना होता है। हर संस्कार का अपना एक समय है, उससे जुड़ा महत्व है और उससे संबंधित नियम भी हैं। इन्हीं सोलह संस्कारों में से एक है अंतिम संस्कार जो व्यक्ति के परिजनों द्वारा उसके आखिरी समय पर किया जाता है। अंतिम संस्कार से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम भी हैं।

इन्हीं नियमों में से एक है किसी बच्चे का अंतिम संस्कार न होने का। दरअसल, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि हिन्दू धर्म में किसी भी बच्चे का अंतिम संस्कार करने से पहले उसकी आयु देखी जाती है यानी कि एक तय आयु के तहत ही किसी बच्चे का अंतिम संस्कार या तो होता है या नहीं होता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि कितने साल तक के बच्चे का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है और क्या है इसके पीछे का कारण।

कितने साल तक के बच्चे का अंतिम संस्कार नहीं होता है और क्यों?

हिन्दू धर्म ग्रंथों और शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, जिस बच्चे की आयु 2 वर्ष तक की हो और उसका निधन जन्म से लेकर 2 वर्ष तक के मध्य में हो जाए तो उस बच्चे का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है, बल्कि उस बच्चे को दफनाया जाता है।

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गरुड़ पुराण में लिखा है कि किसी भी व्यक्ति का अंतिम संस्कार करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि पंच तत्वों से बना शरीर पंच तत्वों में ही विलीन हो जाता है और दूसरा आत्मा को शरीर से विलग करने के लिए भी अंतिम संस्कार करना जरूरी है।

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असल में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा शरीर छोड़ तो देती है, लेकिन आत्मा की पूरी कोशिश होती है कि वह उस मृत देह में पुनः प्रवेश कर सके। ऐसे में उस आत्मा रूपी सोल एनर्जी को रोकने के लिए शरीर को जला देते है।

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आत्मा का शरीर में दुबारा प्रवेश करने की कोशिश करना सिर्फ इस बात को दर्शाता है कि आत्मा का लगाव शरीर से हो गया है। इसलिए अंतिम संस्कार कर आत्मा की मुक्ति करना बहुत आवश्यक है। वहीं, ये तर्क छोटे बच्चों पर लागू नहीं होता है।

जन्म से लेकर 2 साल तक के बच्चे अबोध माने जाते हैं जिनका किसी भी प्रकार की वस्तु या व्यक्ति से कोई मोह नहीं होता है। ऐसे में जब इतने छोटे बच्चे की मृत्यु होती है तो उसकी आत्मा का उसके शरीर से लगाव होना संभव ही नहीं है।

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यही कारण है कि 2 साल तक के बच्चे का अंतिम संस्कार करना आवश्यक नहीं होता है और इतने छोटे बच्चों के शरीर को दफनाया जाता है। यहां तक कि इतने छोटे बच्चे से जुड़ी वस्तु भी घर में या माता-पिता अपने पास रख सकते हैं।

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image credit: herzindagi, freepik

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