रोजमर्रा की जिंदगी में हम कई ऐसे काम करते हैं जो ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार सही नहीं माने जाते। उदाहरण के तौर पर, कई लोगों की आदत होती है कि वे सुबह उठते ही शीशे में अपने आप को देखते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके बेडरूम में शीशा गलत दिशा में लगा होता है, जिससे अनजाने में उनका चेहरा बार-बार दिखाई देता है। इस विषय पर हमने वास्तु और ज्योतिष विशेषज्ञ डॉक्टर शेफाली गर्ग से बात की। उनका कहना है, "कांच का संबंध शुक्र ग्रह से होता है। शुक्र हमें उन चीजों की ओर आकर्षित करता है, जो हमें प्रलोभन देती हैं या जिनका स्वरूप हम अपने मन अनुसार देखना चाहते हैं, न कि वास्तविकता जैसा होता है। इसलिए अगर आप सुबह उठते ही सबसे पहले शीशा देखती हैं, तो इससे आपका पूरा दिन भ्रम और झूठ से भरा रह सकता है।"
डॉक्टर शेफाली यह भी बता रही हैं कि सुबह नींद से उठते ही अगर हमारी खुद को शीशे में देखने की आदत है, तो इससे हमारे जीवन क्या प्रभाव पड़ सकते हैं।
डॉ. शेफाली बताती हैं कि जब हम नींद से उठते हैं, तब हमारा शरीर और मन दोनों ही ट्रांजिक्शन मोड पर होते हैं और सारी नकारात्मकताएं शरीर से बाहर निकल रही होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का शरीर में प्रवेश हो रहा होता है। इस अवस्था में अगर आप सुबह उठाते ही शीशा देखती हैं, तो नकारात्मक ऊर्जा शीशे से टकरा कर वापस हमारे अंदर ही प्रवेश कर जाती है। ऐसे में यदि हम सबसे पहले शीशा देखते हैं, तो हम अपने दिन की शुरुआत एक नकारात्मक प्रतिबिंब से करते हैं।
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इस आदत से आपके जीवन में निम्नलिखित दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
शीश केवल आपकी बाहरी छवि ही दिखाता है। आपके अंदर की वास्तविकता वो नहीं दिखा पाता है। इसलिए आप दिन की शुरुआत जब झूठ के साथ करती हैं, तो पूरे दिन सच्चाई से रू-ब-रू नहीं हो पाती हैं और कोई भी सही निर्णय नहीं ले पाती हैं।
सुबह के समय मन को शांत करना और ऊर्जा इकट्ठा करने का होता है। ऐसे में आप जब सुबह उठते ही शीशा देख लेती हैं, तो आपके ही अंदर की नकारात्मक ऊर्जा शीशे से टकराती है और जो प्रतिबिंब तैयार होता है, वह नकारात्मकता से भरा हुआ होता है। ऐसे में पूरा दिन ही संदेह और चिंता में बीतता है।
शीश आपको हकीकत नहीं दिखाता है। आप उसमें खुद को जैसा देखना चाहती हैं, वैसा ही वो आपको दिखाता है। जाहिर, जब आपको खुद में कोई कमी नहीं नजर आएगी तो आपके पांव कभी जमीन पर नहीं टिकेंगे। आप हमेशा कल्पनाओं में रहेंगे और उन्हीं को सच मान लेंगी।
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भ्रम की स्थिति में व्यक्ति को यह समझना मुश्किल हो जाता है कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत। डॉ. शेफाली बताती हैं कि यह आदत धीरे-धीरे आपके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
एक बड़ी शिकायत जो लोग करते हैं वो यह है कि "हम इतनी मेहनत करते हैं, लेकिन फल नहीं मिलता।" वास्तु के अनुसार इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि आपकी सुबह की शुरुआत ही गलत ऊर्जा से हो रही है। शीशा देखकर दिन शुरू करना एक ऐसी आदत है जो आपके प्रयासों को अंदर ही अंदर कमजोर बना देती है।
अत: सुबह उठकर शीश देखना कितनी आम सी बात आपको लगती होगी, मगर ऊपर इसके जो नकारात्मक प्रभाव बताए गए हैं, वह वाकई चौकाने वाले हैं। इसलिए यदि आप अपने जीवन में सच्ची प्रगति, मानसिक शांति और सफलता चाहते हैं, तो इस आदत को छोड़ दें और दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा और सचेत मन से करें। इस लेख को शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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