नीलम रत्न पहनने के दौरान इन नियमों का करें पालन, मिलेगा दोगुना फल

रत्न शास्त्र में रत्नों को धारण करने के नियम के बारे में बताया गया है। अब ऐसे में अगर आप नीलम रत्न धारण कर रहे हैं तो किन नियमों का पालन करना जरूरी है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
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नीलम, जिसे ब्लू सफायर भी कहा जाता है, एक कीमती रत्न है जो अपनी सुंदरता और ज्योतिषीय महत्व के लिए जाना जाता है। रत्न शास्त्र में नीलम को शनि ग्रह का रत्न माना गया है। यह रत्न व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सुरक्षा में बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। नीलम रत्न धारण करने से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है। यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। नीलम रत्न धन और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करता है। यह व्यापार और नौकरी में सफलता दिलाता है। इतना ही नहीं नीलम रत्न व्यक्ति को दुर्घटनाओं और बुरी नजर से बचाता है। नीलम रत्न धारण करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। अब ऐसे में अगर कोई जातक नीलम रत्न पहनते हैं को किन नियमों का पालन करना जरूरी है। इसेक बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

नीलम रत्न पहनने के दौरान इन नियमों का करें पालन

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  • नीलम रत्न को धारण करने का सबसे अच्छा समय शनिवार का दिन है। इस दिन सुबह 5 बजे से 9 बजे के बीच या शाम को 5 बजे से 7 बजे के बीच नीलम धारण करना शुभ माना जाता है।
  • नीलम रत्न को मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।
  • नीलम रत्न को चांदी, सोना या प्लेटिनम धातु में जड़वाना चाहिए। इससे दोगुने फल की प्राप्ति हो सकती है।
  • नीलम रत्न को धारण करने से पहले उसे गंगाजल या पवित्र जल से अच्छी तरह धोकर शुद्ध कर लेना चाहिए।
  • नीलम रत्न को धारण करते समय शनि देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
  • नीलम रत्न को धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह जरूर लेनी चाहिए। ज्योतिषी आपको बताएंगे कि नीलम आपके लिए शुभ है या नहीं और इसे कैसे धारण करना चाहिए।
  • नीलम रत्न को धारण करने के बाद कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। नीलम रत्न को धारण करने वाले व्यक्ति को शनि देव की पूजा करनी चाहिए और नीलम रत्न को बार-बार नहीं उतारना चाहिए।

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नीलम रत्न पहनने के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नीलम रत्न शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और इसे धारण करने से पहले शनि देव को प्रसन्न करना आवश्यक है। इसलिए शनिदेव के मंत्रों का जाप जरूर करें।

  • ऊं शं शनैश्चराय नमः।
  • ऊं नीलांजनसमाभं राहुच्छत्रककेतुं वातुल्यं।
  • ऊं प्रां प्रीं प्रूं सः शनैश्चराय नमः।

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Image Credit- HerZindagi

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