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Pitru Paksha 2024: क्या पंडित की अनुपस्थिति में ऑनलाइन किया जा सकता है पितरों का श्राद्ध कर्म? जानें सही विधि और नियम

पिंडदान ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है, इसके लिए विशेष स्थान पर पहुंचकर ही पूरी विधि के अनुरुप पितरों की पूजा संभव है। हालांकि, श्राद्ध कर्म से संबंधित कुछ पूजन को घर पर किया जा सकता है। आइए इसके लिए विधि और नियम जान लेते हैं।
Editorial
Updated:- 2024-09-19, 21:29 IST

Pitra Paksha Shradh Niyam 2024: पितरों के पिंडदान और मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृपक्ष का आरंभ हो चुका है। यह हर साल भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस साल पितृपक्ष 18 सितंबर, 2024 से शुरू हो गया है, जिसका 02 अक्टूबर को अमावस्या तिथि पर समापन होगा। इस दौरान दुनियाभर के लोग अपने पितरों की मुक्ति के लिए पूरे भक्तिभाव से पिंडदान करते हैं। पितृ पक्ष में पितरों के लिए पिंडदान के अलावा, तर्पण, श्राद्ध कर्म, ब्राह्मण भोज आदि भी किया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष की तिथियों पर पितरों की पूजा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनको तृप्ति मिलती है। इन सब में परेशानी तब आती है, जब लोगों के पास समय की कमी होती है, पर वो श्राद्ध कर्म करने की इच्छा रखते हैं। उनके मन में यह सवाल रहता है कि क्या हम ऑनलाइन माध्यम से घर पर ही श्राद्ध कर्म कर सकते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी समस्या है, तो चलिए इस सवालका जवाब गया जी के ब्राह्मण वैद्यनाथ चौधरी से जानते हैं।

क्या ऑनलाइन हो सकता है पिंडदान?

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इसपर गया के ब्राह्मण का जवाब है कि पिंडदान ऑनलाइन नहीं किया जा सकता है, इसके लिए विशेष स्थान पर पहुंचकर ही पूरी विधि के साथ पितरों की पूजा संभव है। हालांकि, श्राद्ध कर्म से संबंधित कुछ पूजन को घर पर किया जा सकता है। ब्राह्मण का कहना है कि आज के इस डिजिटल युग में लोग अपने हर काम के लिए ऑनलाइन सर्विस को प्रेफर करते हैं। इसी टेक्नोलाजी का फायदा उठाकर कुछ लोग ऑनलाइन पिंडदान के बारे झूठा और भ्रामक प्रचार कर रहे हैं, लेकिन ऐसा कतई संभव नहीं है। हां, पर आप पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि को अपने घर में कर सकते हैं।

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ऑनलाइन माध्यम से श्राद्ध कर्म करने के नियम और विधि

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  • टेक्नोलॉजी के इस दौर में ब्राह्मण से बात करते हुए श्राद्ध कर्म को घर में भी किया जा सकता है।
  • घर पर श्राद्ध करने के लिए सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनकर श्राद्ध और दान का संकल्प लीजिए। ध्यान रहे जब तक श्राद्ध ना हो जाए तो कुछ भी नहीं खाना है।
  • श्राद्ध करने के लिए दक्षिण दिशा में मुंह करके बाएं पैर को मोड़कर और घुटने को जमीन पर टिकाकर बैठ जाइए।
  • इसके बाद, तांबे के लोटे में जौ, तिल, चावल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल और पानी डालें।
  • हाथ में कुश लेकर और जल को हाथ में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में 11 बार गिराएं।
  • इसके बाद पितरों के लिए खीर अर्पित करें।
  • श्राद्ध कर्म के दौरान देवता, गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी के लिए अलग से भोजन निकालकर रख दीजिए।
  • श्राद्ध पूजन के बाद गौ और ब्राह्मण के अलावा कुत्ता व कौआ को भी भोजन दें।

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