हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ हो जाता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध और पिंडदान करने की मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है, तो व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है। इसलिए पितृपक्ष में विधिवत रूप से पितरों के नाम से श्राद्ध करने का नियम है। आपको बता दें, पितृ पक्ष का महीना पितरों को प्रसन्न करने के लिए बेहद खास और भाग्यशाली माना जाता है।
अब ऐसे में कई लोग पितृपक्ष में तीर्थ स्थान पर श्राद्ध करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। साथ ही पिंडदान विधिवत रूप से करते हैं। अब ऐसे में अगर आप अपने पितरों का श्राद्ध घर पर कर रहे हैं, तो किस विधि से करने से पितृ प्रसन्न हो सकते हैं। साथ ही किन नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
पितृपक्ष में श्राद्ध करना हिंदू धर्म में पितरों का श्रद्धा पूर्वक स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसके लिए सबसे पहले श्राद्ध के लिए सामग्री के बारे में विस्तार से जान लें।
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Image Credit- HerZindagi
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