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Puja-Path: क्या है गंगाजल का पूजा में स्थान?

हिन्दू धर्म में गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है। यही कारण है कि इसका पूजा-पाठ में भी बहुत महत्व है। ऐसे में आइये जानते हैं कि पूजा-पाठ के दौरान गंगाजल कब-कब और इन चीजों में इस्तेमाल किया जाता है।   
Editorial
Updated:- 2023-06-18, 12:00 IST

Puja-Path Mein Gangajal Ka Mahatva: हिन्दू धर्म में गंगाजल को बहत पवित्र और लाभकारी माना गया है। 

पूजा-पाठ और यज्ञ-अनुष्ठान से लेकर घर के किसी भी शुभ काम में गंगाजल का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है।

ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर क्या है गंगाजल का पूजा में महत्व।

घर में रखते हैं गंगाजल

  • गंगाजल को घर में रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। जिस घर में गंगाजल होता है वहां नकारात्मकता नहीं रहती।
  • घर में गंगाजल रखने से सुख-समृद्धि, शांति और संपन्नता आती है। गंगाजल होने से राहु का दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है। 

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पूजा-पाठ में जरूरी है गंगाजल 

  • पूजा-पाठ में भी गंगाजल का प्रयोग आवश्यक माना गया है। पूजा की शुद्धता कायम रखने में गंगाजल सहायक है। 
  • मान्यता है कि पूजा-पाठ (पूजा-पाठ के नियम) शुरू होने से पहले गंगाजल छिड़ककर ही उस स्थान को स्वच्छ और पवित्र किया जाता है।

gangajal during puja uses

  • फिर पूजा-पाठ शुरू होने के बाद आचमन के लिए भी गंगाजल का ही इस्तेमाल होता है ताकि आत्म शुद्धि हो सके।
  • साथ ही पूजा-पाठ के दौरान भगवान का जलाभिषेक करने के लिए भी गंगाजल को ही प्रयोग में लाया जाता है। 
  • इसके अलावा, जब घर में किसी मूर्ति की स्थापना होती है तब भी गंगाजल से ही चौकी को साफ किया जाता है।
  • यज्ञ-अनुष्ठान में अग्नि कुंड बनाने के लिए इस्तेमाल में लाई जाने वाली ईटों को गंगाजल से धोया जाता है।
  • फिर अनुष्ठान या यज्ञ के दौरान भी गंगाजल (गंगाजल के उपाय) से हर एक वस्तु को स्पर्श करने के बाद ही आहुति दी जाती है। 

gangajal during puja

  • पूजा-पाठ या यज्ञ-अनुष्ठान खत्म होने के बाद घर में गंगाजल से ही छिड़काव किया जाता है। 
  • इन्हीं सब कारणों की वजह से कोई भी पूजा-पाठ या यज्ञ-अनुष्ठान गंगाजल के बिना पूर्ण नहीं माना जाता है।

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पूजा-पाठ में गंगाजल के लाभ 

  • पूजा-पाठ या यज्ञ-अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग करने से वह कार्य बिना बाधा के पूर्ण होता है।
  • पूजा-पाठ या यज्ञ-अनुष्ठान की शुद्धता बनी रहती है और पूजा का पूरा फल भी प्राप्त होता है। 

 

प्राचीन समय से आज तक भी गंगाजल के बिना कोई भी पूजा-पाठ या यज्ञ-अनुष्ठान पूर्ण नहीं माना जाता है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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