ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब शनि किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस राशि के साथ-साथ उससे पिछली और अगली राशि पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनते ही कई लोग घबरा जाते हैं, क्योंकि इन अवधियों में व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, कुछ ऐसे उपाय भी हैं जिनसे इन अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। ऐसा ही एक प्रभावी उपाय है शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना है। आइए इस लेख में विस्तार से ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से जानते हैं कि किस विधि से परिक्रमा लगानी चाहिए?
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शनिवार का दिन भगवान शनि को समर्पित है, जो कर्मफलदाता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में हों, तो उसे कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना से लाभ हो सकता है।
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