पंचक ज्योतिष में पांच दिनों की एक विशेष अवधि होती है, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से लेकर शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्रों से गुजरता है। इस समय को कुछ कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान किए गए कुछ नकारात्मक कार्यों का प्रभाव पांच गुना अधिक बुरा हो सकता है, जबकि कुछ शुभ काम विशेष रूप से राज पंचक के दौरान करना अच्छे परिणाम दे सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जून में पंचक के दौरान कौन से कम करने चाहिए और कौन से कामों को करने से बचना चाहिए।
ज्योतिष गणना के अनुसार, जून माह में पंचक का आरंभ 16 जून, सोमवार के दिन दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 20 जून, शुक्रवार के दिन रात 9 बजकर 45 मिनट पर होगा। चूंकि जून का यह पंचक सोमवार से शुरू हो रहा है इसलिए यह राज पंचक कहलाएगा। ज्योतिष शास्त्र में राज पंचक को कुछ हद तक शुभ माना जाता है खासकर सरकारी कामों और संपत्ति से जुड़े मामलों में।
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राज पंचक में कुछ कार्य शुभ माने जाते हैं। अगर कोई ऐसा काम है जो आपको बार-बार करने में खुशी मिलती है, तो उसे पंचक में किया जा सकता है। सरकारी कार्यों की शुरुआत या उनमें प्रगति के लिए यह समय शुभ माना जाता है। भूमि, भवन या वाहन की खरीद-बिक्री के लिए राज पंचक को अच्छा माना जाता है। ऐसी वस्तुएं खरीदना जिनसे आपको बार-बार सुख मिलता है जैसे वाहन, प्लाट आदि खरीदना भी इस दौरान अच्छा माना जाता है।
वृक्ष लगाना भी इस समय शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-समृद्धि आती है और धन-धान्य से घर भरा रहता है। पंचक के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए पूजा-पाठ, दान-पुण्य करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। इस दौरान हवन-अनुष्ठान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास बना रहता है और नकारात्मकता नष्ट होती है। घर में शुभता का आगमन होता है।
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पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को वर्जित माना गया है क्योंकि ऐसा करने से अशुभ परिणाम मिल सकते हैं या वे कार्य पांच गुना तक बढ़ सकते हैं। पंचक के दौरान लकड़ी, घास या अन्य जलने वाली चीजों को इकट्ठा नहीं करना चाहिए। इससे अग्नि से संबंधित दुर्घटनाओं का भय रहता है। पंचक के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर दाह संस्कार नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उस कुल में पांच और मृत्यु हो सकती हैं।
अगर यह जरूरी हो तो पंचक शांति के लिए किसी योग्य पंडित से विधि-विधान से विशेष पूजा करवानी चाहिए और शव के साथ आटे के पांच पुतले भी जलाने चाहिए। पंचक के दौरान चारपाई या पलंग का निर्माण करना अशुभ माना जाता है। पंचक के समय घर की छत डालना या ढलाई करना भी वर्जित है। माना जाता है कि इससे धन हानि और घर में क्लेश हो सकता है। पंचक के दौरान दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है और इस दिशा में यात्रा करना हानिकारक हो सकता है। यदि बहुत आवश्यक हो तो हनुमान जी की पूजा करके या उन्हें फल अर्पित करके यात्रा शुरू कर सकते हैं। विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे बड़े मांगलिक कार्यों को पंचक में टालना ही बेहतर होता है। पंचक काल में नई नौकरी ज्वाइन करने से बचना चाहिए। इस समय में विवाद और झगड़े करने से बचना चाहिए क्योंकि वे बढ़ सकते हैं।
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