हिन्दू धर्म में जितना महत्व बड़ी शिवरात्रि का है जिसे महाशिवरात्रि कहते हैं, उतना ही महत्व हर माह में आने वाली शिवरात्रि का भी माना जाता है जिसे मासिक शिवरात्रि के रूप में भक्त मनाते हैं। वहीं, अब मई के महीने में मासिक शिवरात्रि आने को है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि मई की मासिक शिवरात्रि कब है, क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व।
ज्येष्ठ माह की चतुर्दशी तिथि के दिन मई की मासिक शिवरात्रि पड़ेगी। ऐसे में ज्येष्ठ चतुर्दशी तिथि का आरंभ 25 मई, रविवार के दिन दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर हो रहा है और इस तिथि का समापन 26 मई, सोमवार के दिन दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, यूं तो मई की मासिक शिवरात्रि 26 मई को मनाई जानी चाहिए लेकिन निशिता मुहूर्त जिसमें भगवान शिव की पूजा होती है वह एक दिन पहले पड़ रहा है। ऐसे में मई मासिक शिवरात्रि का व्रत 25 मई को रखा जाएगा।
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मई मासिक शिवरात्रि यानी कि 25 मई के दिन सूर्योदय का समय सुबह 5 बजकर 26 मिनट है और सूर्यास्त का समय शाम 7 बजकर 11 मिनट है। इसके आधार पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 4 मिनट से 4 अब्जकर 45 मिनट तक रहेगा जो सी दिन स्नान एवं दान के लिए बहुत उत्तम सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा, मई मासिक शिवरात्रि के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 36 मिनट से 3 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में शिव पूजन करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं।
वहीं, मई मासिक शिवरात्रि के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। हालांकि, इस दिन गोधूलि मुहूर्त शाम 7 बजकर 9 मिनट से लेकर 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और भगवान शिव की पूजा के लिए नीतिशा मुहूर्त विशेष रूप से रात 11 बजकर 22 मिनट से 12 बजकर 1 मिनट तक है। इस मुहूर्त में पूजा के तौर पर भगवान शिव के नाम का निरंतर जाप करने से उनकी असीम कृपा मिलती है।
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मई मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान शिव और माता पार्वती का सानिध्य मिलता है। भगवान शिव की कृपा से जीवन के संकटों से रक्षा होती है। पारिवारिक शांति प्राप्त होती है और गृह क्लेश से छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा, मई मासिक शिवरात्रि के वर्त चूंकि ज्येष्ठ माह के दौरान आता है ऐसे में अगर घर का बड़ा बच्चा इस व्रत का पालन करे तो उस अकेले बच्चे की निष्ठा पुर्वक की गई पूजा से पूरी परिवार को अपार लाभ मिलते हैं और शिव-शक्ति का आशीर्वाद बना रहता है।
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