importance of bel patra

एक या दो नहीं बल्कि कई तरह के होते हैं बेलपत्र, जानें इनका महत्व

सावन चल रहा है और यह माह भगवान शिव बेहद प्रिय है। इस महिने में लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह से पूजन अर्चना और बेल पत्र जरूर चढ़ाते हैं। तो चलिए जानें बेल पत्र के प्रकार के बारे में। <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-08-22, 12:30 IST

आज तक आप सभी ने ज्यादातर 3 पत्ते वाला बेल पत्र देखा होगा। अक्सर महादेव की पूजा में तीन पत्तियों वाले बेल पत्र का उपयोग किया जाता है। शास्त्रों में यह कहा गया है कि 1 या 2 पत्ती वाले बेल पत्र शिव लिंग पर नहीं चढ़ाई जाती । ये तो रही एक, दो और तीन पत्तियों वाले बेल पत्र की बात लेकिन क्या आप जानती हैं 3 पत्तियों के अलावा बेल के पत्र में और भी ज्यादा पत्ते होते हैं। यदि आपको इसके विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है, तो चलिए जानते हैं कि आखिर कितने तरह के होते हैं बेलपत्र।

कितने तरह के होते हैं बेलपत्र

religious importance of bel patra

वैसे तो 4,5,6 और 7 पत्तियों वाले बेल पत्र आपको किसी पेड़ में आसानी से मिल सकते हैं, लेकिन ग्यारह और इक्कीस पत्तियों वाले बेल पत्र बेहद ही दुर्लभ माने गए हैं। यह सालों बाद किसी पेड़ में मिलता है और इसकी महिमा बहुत निराली है। शिवपुराण के अनुसारतीन पत्ती वाले बेल पत्र में ब्रह्मा विष्णु और शिव जी का वास होता है, वहीं पांच पत्तियों वाले बेल पत्र में ब्रम्हा, विष्णु, महेश, गणेश और माता पार्वती का भी वास बताया गया है। चुकीं 5 पत्तियों वाले बेल पत्र में शिव जी सभी प्रियजनों का वास होता है इसलिए पांच पत्तियों वाला बेलपत्र शिवजी को सबसे ज्यादा प्रिय है। 

शिवपुराण के अनुसार बेल पेड़ के बारे में

significance of bel patra

शिवपुराण में बेल के पत्र, फूल, फल, पेड़, लकड़ी और जड़ सभी चीजों का विशेष महत्व बताया गया है। यह सभी चीजें भगवान शिव के पूजा में इस्तेमाल तो होती ही हैं साथ ही, दूसरे देवी-देवताओं के पूजन में भी बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। बेल के जड़ को घिस कर बनाया हुआ चंदन शिव जी को बेहद प्रिय है (शिव जी को बेहद प्रिय है ये पांच पुष्प)। यदि उपलब्ध हो तो शिव जी को बेल की लकड़ी या जड़ से घिसे हुए चंदन जरूर चढ़ाएं।

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कैसे चढ़ाएं 5,7,11, और 25 पत्ते वाला बेल पत्र

how many leaves in bel patra

यदि आपको सौभाग्य से 5,7,11, और 25 पत्ते वाला बेल पत्र मिल जाता है, तो आपको इसे शिव जी पर चढ़ाने से पहले, गंगा जल से इसे शुद्ध कर लें। अब इसमें चंदन से सीता राम या राम-राम लिखें और शिव जी को अपनी कामना करते हुए अर्पित करें। माना जाता है कि शिव जी को बेल का पत्ताऔर एक लोटा जल बहुत प्रिय है ऐसे में आप यदि अपनी कामना कहते हुए एक लोटा जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो शिव जी आपकी मनोकामना पूरी करते हैं। 

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