जया पार्वती व्रत, जिसे गौरी व्रत भी कहा जाता है, यह आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से आरंभ होकर पांच दिनों तक मनाया जाता है। यह व्रत अविवाहित महिलाओं द्वारा मनचाहा वर प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत से जुड़ी कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया था। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को विधिवत करने से अविवाहित महिलाओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है। यह व्रत सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि और संपन्नता की प्राप्ति होती है। जया पार्वती व्रत हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण व्रत है। अब ऐसे में इस साल जया पार्वती व्रत कब रखा जाएगा। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है। साथ ही इस दिन व्रत रखने का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जया पार्वती व्रत कब है?
जया पार्वती व्रत इस साल 2024 में 19 जुलाई, शुक्रवार को रखा जाएगा। यह व्रत आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से आरंभ होता है। यह व्रत विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं द्वारा मनचाहा वर प्राप्ति के लिए किया जाता है।
जया पार्वती व्रत का शुभ मुहूर्त क्या है?
जया पार्वती व्रत त्रयोदशी तिथि यानी कि 18 जुलाई को रात्रि 08:44 मिनट से प्रारंभ हो रहा है। वहीं त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 19 जुलाई को शाम 07:41 मिनट पर होगा।
जया-पार्वती प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त 19 जुलाई को शाम 07:19 मिनट से लेकर 09:23 मिनट तक है।
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जया पार्वती व्रत का महत्व क्या है?
जया पार्वती व्रत रखने से अविवाहित महिलाओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। साथ ही उत्तम फलों की प्राप्ति हो सकती है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा था। जया पार्वती व्रत करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि माता पार्वती की आराधना करने से पारिवारिक जीवन में खुशियां आती हैं और संतान सुख प्राप्त होता है। विवाहित महिलाएं भी इस व्रत को रखकर अखंड सौभाग्य की प्राप्ति कर सकती हैं। माता पार्वती को स्त्रीत्व और पतिव्रता का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जया पार्वती व्रत करने से कुंडली में मौजूद दोषों का निवारण होता है। यह व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी लाभदायक माना जाता है।
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