क्या दक्षिण दिशा में मुंह करके खाने से पितृ दोष लगता है? पंडित जी से जानें

हिंदू शास्त्रों में दक्षिण दिशा को यमराज और पितरों की दिशा माना जाता है। ऐसे में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करना उचित है? यदि आप भी जानना चाहती हैं कि इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करना शुभ है या इससे पितृ दोष लग सकता है, तो यहां लें पूरी जानकारी।
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हिंदू धर्म में दिशाओं को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रत्येक दिशा किसी न किसी ग्रह, देवता या ऊर्जा से जुड़ी होती है, जिसका सीधा प्रभाव हमारे जीवन की गतिविधियों, स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर पड़ता है। ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी के अनुसार, भोजन करते समय आपको दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जिससे किसी भी प्रकार का दोष न लगे।जब हम अपनी दैनिक क्रियाओं में दिशा का सही चयन करते हैं, तो यह हमें सकारात्मक ऊर्जा, संतुलन और शुभ फल प्रदान करता है। वहीं, गलत दिशा की ओर मुख करके किया गया कार्य न केवल जीवन में बाधाओं को आमंत्रित करता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी बढ़ावा दे सकता है। ऐसे ही एक मान्यता यह भी है कि यदि कोई व्यक्ति विशेषकर मुख्य रूप से महिलाएं यदि भोजन करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठती हैं, तो यह पितृ दोष को आमंत्रित कर सकता है। ज्योतिष की मानें तो दक्षिण दिशा को यमराज और पितृलोक की दिशा माना जाता है और सामान्य दिनचर्या में इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करना शुभ नहीं माना गया है। आइए यहां विस्तार से जानें इसके पीछे का धार्मिक और ज्योतिषीय कारण।

ज्योतिष में दक्षिण दिशा का महत्व

ज्योतिष के अनुसार दक्षिण दिशा यमराज यानी मृत्यु के देवता की दिशा मानी जाती है। यह दिशा पितृलोक से भी जुड़ी होती है। यही कारण है कि पितरों से जुड़े कई कार्यों, विशेषकर श्राद्ध कर्म या पिंडदान आदि में व्यक्ति दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही बैठता है। इसका उद्देश्य पितरों को श्रद्धा अर्पित करना और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। आम जीवन में भी आपके घर की दक्षिण दिशा के स्थान को पितरों से जोड़ा जाता है और यदि आप पितरों की तस्वीर अपने घर पर रखती हैं तो इसी दिशा में लगाने की सलाह दी जाती है।

ज्योतिष अनुसार भोजन और दिशा का संबंध

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भोजन केवल शरीर को पोषण देने की क्रिया नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा का भी एक स्रोत है। शास्त्रों की मानें तो जिस दिशा में मुख करके भोजन किया जाता है, वह दिशा उस व्यक्ति की ऊर्जा, सोच और स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। ऐसे में अलग-अलग दिशाओं की तरफ मुंह करके भोजन करने का अलग मतलब और महत्व होता है। ऐसे ही पूर्व दिशा ज्ञान, स्वास्थ्य और सकारात्मकता का प्रतीक मानी जाती है, इसलिए इस दिशा में भोजन करने से जीवन में भी सकारात्मकता बनी रहती है। उत्तर दिशा को धन और मानसिक संतुलन से जोड़ा जाता है, यदि आप इस दिशा की मुंह करके खाना खाएं तो आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है। ऐसे ही पश्चिम दिशा को कर्मों और परिणाम की दिशा माना जाता है।

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क्या दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पितृ दोष लगता है?

वैसे तो इस प्रश्न का उत्तर परिस्थिति पर भी निर्भर करता है। वैसे तो शास्त्रों में यह बात स्पष्ट नहीं है कि दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पितृ दोष लग जाता है, लेकिन ऐसा जरूर कहा गया है कि यह दिशा सामान्य जीवन के भोजन के लिए उपयुक्त नहीं है। उसका कारण यही है कि पितरों से जुड़े हुए कोई भी काम इसी दिशा की तरफ किए जाते हैं। दक्षिण दिशा की ऊर्जा स्थिर और भारी होती है। इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करना शरीर पर नकारात्मकता को बढ़ा सकता है। इसलिए सामान्य रूप से यह दिशा दैनिक भोजन के लिए ठीक नहीं मानी जाती है। हालांकि, जब श्राद्ध कर्म, पितृ तर्पण या पितरों के लिए कोई अनुष्ठान किया जाता है, तो उस समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ही भोजन किया जाता है। यह दिशा पवित्र मानी जाती है और पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक होती है।

क्या केवल दक्षिण दिशा की तरफ भोजन करना ही पितृ दोष का कारण है?

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ज्योतिष की मानें तो पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्मा किसी न किसी बाते से असंतुष्ट रहती है या उनके कर्म अधूरे रह जाते हैं। यह दोष आपकी कुंडली में सूर्य, राहु या शनि की विशेष युति की वजह से भी बनता है। पितृ दोष के प्रभाव से जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, संतान संबंधी समस्याएं, करियर में रुकावट और पारिवारिक कलह उत्पन्न हो सकते हैं। हालांकि केवल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना पितृ दोष का कारण नहीं है बल्कि अन्य कई कारणों से भी व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। अगर आप अनजाने में या दिशा का सही ज्ञान न होने के कारण दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन कर लेते हैं, तो यह जरूरी नहीं कि उससे पितृ दोष उत्पन्न हो। लेकिन बार-बार आपको ऐसा करने से बचना चाहिए।

केवल दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना पितृ दोष का संकेत नहीं है, लेकिन यह दिशा नियमित भोजन के लिए शुभ भी नहीं मानी जाती। इस दिशा का संबंध पितरों और यम से होता है, इसलिए केवल विशेष कर्मकांडों के समय ही इस दिशा में मुख करना उचित होता है।
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Images:freepik.com, Meta AI

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