आमतौर पर, यह समझा जाता है कि अस्थमा की बीमारी व्यस्क व्यक्ति में या अधिक उम्र के व्यक्ति को ही होती है। जबकि आज के समय में बच्चे भी इसकी जद में आ चुके हैं। अस्थमा के कारण अक्सर बच्चों को सांस लेने या बोलने में भी समस्या होती है। जब बच्चे को अस्थमा अटैक होता है तो वह लगातार खांसता चला जाता है। आपके लिए अपने बच्चे को खांसते और सांस लेने या बोलने के लिए संघर्ष करते देखना बहुत कठिन होता है। इसलिए यह कहा जाता है कि अस्थमा पीड़ित बच्चे को अतिरिक्त केयर की जरूरत होती है।
अगर बच्चे में अस्थमा ट्रिगर्स को कण्ट्रोल ना किया जाए तो इससे उसे मैनेज करना काफी मुश्किल हो जाता है। हालांकि, इसे मैनेज करने के लिए आपको बस कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखना होता है। तो चलिए आज इस लेख में बीएलके मैक्स अस्पताल के रेस्पिरेटरी डिपार्टमेंट के हेड व सीनियर डायरेक्टर डॉ. संदीप नय्यर आपको कुछ ऐसे आसान टिप्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अस्थमा पीड़ित बच्चे की आसानी से केयर कर सकती हैं-
जब भी अस्थमा की बात होती है तो डस्ट एक ट्रिगर की तरह काम करती है। इसलिए, आपको इस बात का यह ध्यान रखना है कि घर में धूल-मिट्टी कम से कम हो और आप क्लीनिंग पर विशेष रूप से ध्यान दें। यहां तक कि घर में कारपेट एरिया भी कम से कम रखें। इसमें ना केवल डस्ट जमा हो जाती है, बल्कि माइट्स भी बच्चे के अस्थमा को बढ़ा सकते हैं।
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मानसून आ चुका है और ऐसे में घरों में सीलन आना बेहद ही आम है। लेकिन अगर आपके घर में अस्थमा पीड़ित बच्चा है तो आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके घर की दीवारों पर सीलन ना आए। दरअसल, सीलन में फंगस आ जाती है, जिससे बच्चे को अस्थमा का अटैक होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
कुछ लोग घर में पालतू जानवर जैसे कुत्ता या बिल्ली पालना पसंद करते हैं। लेकिन अगर आपके बच्चे को अस्थमा की शिकायत है तो घर में पालतू जानवर पालना बिल्कुल भी एक अच्छा विचार नहीं है। दरअसल, जिन घरों में पालतू होते हैं, वहां पर जगह-जगह उनके फर नजर आते हैं। इतना ही नहीं, बच्चे भी उनसे खेलना पसंद करते हैं। लेकिन, पालतू जानवर के फर एलर्जेनिक होते हैं। ऐसे में उनके फर अस्थमा का अटैक बढ़ाते हैं, जिससे बच्चे को समस्या हो सकती है।
अस्थमा पीड़ित बच्चे को किसी भी तरह के धुएं से बचाने का प्रयास करना चाहिए। सबसे पहले तो अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो आज की रोक दें। दरअसल, पैसिव स्मोकिंग बच्चे के लिए कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकती है। इतना ही नहीं, इससे बच्चे को बार-बार अस्थमा अटैक होता है।
अस्थमा पीडित बच्चे की केयरकरने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतना आवश्यक होता है। जैसे-
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तो अब अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य के लिए आज ही इन टिप्स को फॉलो करना शुरू करें और उसे एक हेल्दी लाइफ जीने में मदद करें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- freepik, pixabay
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