आमतौर पर माना जाता है कि स्मोकिंग करने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा बढ़ जाता हैं। लेकिन मैंने कई ऐसी महिलाओं को देखा हैं जो स्मोकिंग नहीं करती है लेकिन फिर भी वह कैंसर से जूझ रही हैं। ऐसा कैसे? क्या मेरी तरह आपको भी यह सवाल परेशान कर रहा है? अगर हां तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से एक्सपर्ट से जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है?
हम सभी का मानना हैं कि अगर हम स्मोकिंग नहीं करते हैं तो हम कैंसर के खतरे से बची रह सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि पैसिव स्मोकिंग, स्मोकिंग जितनी ही खतरनाक है। पैसिव स्मोकिंग यानी आप स्मोकिंग नहीं करती हैं लेकिन किसी दूसरे के स्मोकिंग का धुंआ सांसों के माध्यम से आपके लंग्स तक पहुंच रहा है। पैसिव स्मोकिंग को सेकंड हैंड स्मोकिंग भी कहते हैं। इसका खतरा उन महिलाओं में सबसे ज्यादा होता है जिनके घर में ही कोई स्मोकिंग करता है और ज्यादातर समय वह उनके आस-पास रहती है।
आप जानती हैं कि आपके लिए स्मोकिंग खराब है लेकिन क्या आप जानती हैं कि आप अभी भी serious smoke हेल्थ जटिलताओं के लिए खतरे में हैं, भले ही आप स्मोकिंग ना करें? स्मोकिंग केवल स्मोकिंग करने वालों को ही प्रभावित नहीं करता है; बल्कि उसके परिवार, मित्रों, सहकर्मियों, पड़ोसियों और यहां तक कि अजनबियों पर भी असर पड़ता है जो स्मोकिंग से भरे हुए वातावरण में सांस लेते हैं।
Mumbai के Global Hospitals के Pulmonologist Dr. Sameer Nanaware के अनुसार, 'Second hand smoke या passive smoking अस्थमा या एलर्जिक rhinitis जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता हैं। साथ ही गर्भवती महिलाओं के बच्चों में इंट्रा uterine retardation ग्रोथ या सहज गर्भपात होने की संभावना है। Passive smoking से लगातार खांसी हो सकती है यहां तक कि अगर लंबे समय धुएं के संपर्क में रहती हैं तो lung cancers का खतरा भी बढ़ सकता है।'
सेकंड हैंड स्मोकिंग के कारण किसी और की गलती की सजा आपको भुगतनी पड़ सकती है। जरूरी नहीं कि आपको कैंसर ही हो, बल्कि कैंसर के अलावा भी कई खतरनाक बीमारियां हैं जो पैसिव स्मोकिंग की वजह से आपको हो सकती हैं।
हार्ट की बीमारियां
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पैसिव स्मोकिंग या सेकंड हैंड स्मोकिंग से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। स्मोकिंग के धु्ंए से आपके कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर नेगेटिव असर पड़ता है। इसके धुएं से ब्लड वेसल्स में कार्टिसोल जम जाता है और इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इसकी वजह से आपको हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉक और गंभीर स्ट्रोक का खतरा होता है। लगातार सेकंड हैंड स्मोकिंग के प्रभाव में रहने से हार्ट डिजीज की संभावना 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
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कैंसर का खतरा
ज्यादातर महिलाएं समझती हैं कि सिगरेट से सिर्फ फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है। ये बात सच है कि इससे सबसे ज्यादा फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है लेकिन स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग के धुंए के प्रभाव में रहने से अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा भी 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
अस्थमा का अटैक
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पैसिव स्मोकिंग से अस्थमा के सामान्य से लेकर जानलेवा स्तर तक के अटैक का खतरा बढ़ जाता है। हमारे श्वसन नली में छोटे-छोटे रोंए जैसी संरचना होती है जिसे सिलिया कहते हैं। ये हमारे शरीर में धूल और म्यूकस को रोकते हैं और अलग करते हैं। स्मोकिंग के कारण सिलिया पर एक तरह की पर्त जम जाती है जिसके कारण हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है और इसके कारण कई बार अस्थमा का जानलेवा अटैक भी आ सकता है।
कम वजन के शिशु
बच्चे का वजन सामान्य से कम हो सकता है, बच्चे की मानसिक क्षमता सामान्य से कम हो सकती है, उसके सीखने और समझने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर मां खुद स्मोकिंग करती है तो ये सारे खतरे कई गुना तक बढ़ जाते हैं। और कम वजन वाले बच्चों के होने से जन्मजात और इंफेक्शन जैसी स्वास्थ्य संबंधी जटिल समस्याएं हो सकती है।
गर्भवती को है खतरा
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प्रेग्नेंट के लिए पैसिव स्मोकिंग उसके और उसके बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है। स्मोकिंग के धुंए के प्रभाव से बच्चे का Development रुक सकता है और गर्भपात भी हो सकता है।
बढ़ता है SIDS का खतरा
स्मोकिंग के धुंए की वजह से SIDS (Sudden infant death syndrome) का खतरा बढ़ जाता है। इस रोग में पैदा हुए बच्चों की एक साल के अंदर बिना किसी कारण के मौत हो सकती है। कई बार बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है यानि प्री-मेच्योर डिलीवरी हो सकती है।
अब तो आप जान ही गई होगी कि पैसिव स्मोकिंग आपके लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
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