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सुस्त जीवनशैली से हो सकती हैं यह 7 हेल्थ प्रॉब्लम्स

अगर सिटिंग जॉब की वजह से आपको हेल्थ प्रॉब्लम्स होने लगी हैं तो अभी से सावधान हो जाइए। सुस्त जीवनशैली के कारण ये 7 हेल्थ प्रॉब्लम्स होने की आशंका बढ़ जाती है।
Editorial
Updated:- 2020-02-24, 19:03 IST

क्या सुख-सुविधाओं वाली जीवनशैली जीते हुए आपकी वॉक या एक्सरसाइज जैसी फिजिकल एक्टिविटीज कम हो गई है? क्या आप ऑफिस में लंबे वक्त तक बैठे रहने की वजह से लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याओं की शिकार हो रही हैं? अगर ऐसा है तो आपको संभल जाने की जरूरत है, क्योंकि आपकी सुस्त जीवनशैली आपको कई तरह की हेल्थ प्रॉब्लम्स का शिकार बना सकती है। आज के समय में lifestyle में कई तरह के बदलाव आ गए हैं। अब स्मार्टफोन पर बैठे-बैठे ही बहुत से काम आसानी से हो जाते हैं, जिससे सहूलियत बढ़ गई है, लेकिन इसकी वजह से फिजिकल एक्टिविटीज में कमी आने पर से हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का अंदेशा भी बढ़ गया है। यह समस्या सिर्फ हमारे भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी बढ़ रही है और इसकी वजह से लोग कई तरह के बीमारियों के शिकार हो रहे हैं, विशेष रूप से बच्चों पर इसका असर दिखाई दे रहा है। अब बच्चे बाहर खेल खेलने के बजाय कंप्यूटर पर गेम खेलना या फिर मोबाइल पर वीडियो देखना ज्यादा पसंद करते हैं। आरामतलबी या बैठे रहने वाली इस जीवनशैली को अपनाने पर कौन सी हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं, आइए जानते हैं-

टाइप 2 डायबिटीज

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अगर अपनी जीवनशैली को सक्रिय बनाए रखना चाहती हैं तो टाइप टू डायबिटीज से बचाव किया जा सकता है। कई स्टडी में यह बात सामने आई है कि शरीर की सक्रियता बने रहने से ब्लड शुगर लेवल काबू में रहता है और इससे लिपिड पर पॉजिटिव असर देखने को मिलता है। इससे डायबिटीज से जूझ रहे लोग इसे ज्यादा बेहतर तरीके से मैनेज कर पाने में सक्षम होते हैं। वहीं जिन लोगों को यह समस्या नहीं है, उन्हें इससे बचाव करने में आसानी होती है।

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मोटापा और इससे जुड़ी समस्याएं 

आजकल पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, मोमोज जैसी चीजें खाने का प्रचलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। सुस्त जीवनशैली की वजह से इन फास्ट फूड से मिलने वाली कैलोरी को पूरी तरीके से कंज्यूम करना मुश्किल हो जाता है और इसका असर ये होता है कि अतिरिक्त ऊर्जा कंज्यूम नहीं हो पाती तो यह फैट सेल्स में बदल जाती है। यह चलन बढ़ने की वजह से मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है। मोटापे के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे कि स्ट्रोक, स्लीप एपनिया जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। 

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हाई ब्लड प्रेशर

लाइफस्टाइल सुस्त हो तो इससे ब्लड प्रेशर पर भी बुरा असर पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर की समस्या सुस्त जीवनशैली की वजह से साल 2025 तक 60 फीसदी और ज्यादा बढ़ सकती है।

 

 

 

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हाइपरटेंशन से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि शारीरिक सक्रियता बनाए रखी जाए। एक्सरसाइज के जरिए यह काम आसानी से किया जा सकता है।

दिल की बीमारियां

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दिल की बीमारी के शिकार होने की एक बड़ी वजह है शारीरिक सक्रियता में कमी। दरअसल अतिरिक्त फैक्ट हमारे ब्लड वेसल्स में जाकर जम जाता है तो इसके कारण ब्लड फ्लो प्रभावित होता है, जिससे हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी अन्य बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

 

इनसोम्निया

बहुत से लोगों में सुस्त जीवन-शैली के कारण इनसोम्निया या नींद में कमी की समस्या देखने को मिलती है। शोधकर्ताओं के अनुसार रोजमर्रा के जीवन में एक्सरसाइज करने से अच्छी नींद आती है और इनसोम्निया की समस्या में भी राहत मिलती है। शारीरिक सक्रियता बढ़ने से शरीर का टेंपरेचर सही बना रहता है एक्सरसाइज करने के बाद स्वाभाविक तौर पर नींद आती है और इससे बॉडी क्लॉक भी सही बनी रहती है।

 

ऑस्टियोपोरोसिस 

सुस्त जीवनशैली के कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। इस समस्या में शरीर की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए बहुत जरूरी है कि घर के रोजमर्रा के काम और एक्सरसाइज आदि पर ध्यान दिया जाए।

डिप्रेशन

अगर जीवनशैली सुस्त हो तो इसकी वजह से डिप्रेशन या चिंतित रहने की समस्या भी बढ़ जाती है। बहुत सी स्टडीज में यह पाया गया है कि किसी फिजिकल एक्टिविटी में शामिल रहने से डिप्रेशन पर काबू पाने में मदद मिलती है। आप अपनी सहूलियत और अपनी दिलचस्पी के हिसाब से किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी में खुद को शामिल कर सकती हैं। इसके अलावा आप वर्कआउट योगा और जुंबा आदि में भी शामिल हो सकती हैं। इससे डायबिटीज, हार्ट डिजीज, कैंसर और मानसिक बीमारियों पर काबू पाने में मदद मिलेगी 

All Images Courtesy: Pexels 

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