आज के समय में लगभग हर घर में मोबाइल, टीवी या लैपटॉप चलाना या देखना एक आम बात है। बड़े लोग इस मामले में कुछ समझदारी दिखाते हैं, लेकिन छोटे बच्चों दिनभर स्क्रीन पर ही बैठे रहते हैं।
आजकल ऑनलाइन क्लास करना, वीडियो गेम खेलना, कार्टून देखना या दोस्तों से चैटिंग करना बच्चों के दिन का एक बड़ा हिस्सा बन चुका है। हालांकि, एक तरफ ऑनलाइन क्लास के लिए बच्चे स्क्रीन यूज करते है, लेकिन अन्य कामों के लिए अधिक इस्तेमाल करने से बच्चों में गंभीर समस्या भी देखी जा सकती है।
अगर आपके भी बच्चे मोबाइल, लैपटॉप या टीवी में लगे रहते हैं, तो मुंबई के नारायण हेल्थ एसआरसीसी चिल्ड्रेंस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट पीडियाट्रिक ऑफ ऑपथैल्मोलॉजी डॉ. नीपा दवे ठाकर से जानिए कि बच्चों का स्क्रीन टाइम कितना होना चाहिए।
डॉ. नीपा दवे ठाकर का कहना है कि फोन या टैबलेट देखने के लिए गर्दन को बार-बार झुकाने से सर्वाइकल स्पाइन पर दबाव पड़ता है। ऐसे में इससे सिर आगे की ओर झुका हुआ या पीठ के ऊपरी हिस्से में कूबड़ जैसा महसूस हो सकता है।
डिजिटल आई स्ट्रेन:- डिजिटल आई स्ट्रेन की वजह से आंखों में सूखापन, खुजली, धुंधली दृष्टि और सिरदर्द की शिकायत होती हैं। बच्चे स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करते समय कम पलकें झपकाते हैं, जिससे उनकी आंखें थक भी जाती हैं।
सही से नींद नहीं आती:- स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन की वजह से बच्चों को सोने में कठिनाई होती है। खराब नींद से उनका मूड भी ऑफ रहता है।
फिटनेस खराब होने का डर:- लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहने से शारीरिक फिटनेस घटती है। वजन भी बढ़ता है। इसकी वजह से मांसपेशियों की ताकत और लचीलेपन पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, स्क्रीन के अधिक इस्तेमाल से बच्चे में चिड़चिड़ापन भी दिखाई देता है।
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हर 20 मिनट में अपने बच्चे से 20 सेकंड के लिए ब्रेक और 20 फीट दूरी से देखने के लिए बोलें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है।
स्क्रीन टाइम के समय पीठ को सहारा देने वाली कुर्सियों का उपयोग करें और बच्चों को सीधे बैठने के लिए प्रोत्साहित करें। पैर जमीन पर सपाट होने चाहिए और हाथ 90 डिग्री के कोण पर होना चाहिए।
स्क्रीन टाइम के समय हर 30-45 मिनट में ब्रेक लेना चाहिए। इस बीच सरल स्ट्रेच, जंपिंग जैक या डांस ब्रेक मांसपेशियों की अकड़न को रोकने में मदद करते हैं।
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सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन का उपयोग न करें। इसकी जगह बच्चे को कहानी या कविता आदि सुना सकते हैं।
बच्चे अगर अधिक स्क्रीन देखते हैं, तो बच्चे को पहेलियां सुना सकते हैं, बोर्ड गेम, किताबें, रंग भरना या अन्य शारीरिक एक्टिविटी करवा सकते हैं।
यदि आपको अपने बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ या नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
लगातार आंखों में परेशानी या दर्द की शिकायत
गर्दन या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द
नींद आने या ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
डिजिटल लत के लक्षण (जैसे स्क्रीन से दूर होने पर चिड़चिड़ापन या गुस्सा)
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