सर्दियों में अक्सर ठंड लग ही जाती है। शरीर में दर्द, बुखार, ठंड लगना और नाक बंद होना यह एक आम समस्या है। ऐसे में बहुत से लोग तुरंत डॉक्टरों के पास भागते हैं और दवाइयों से इलाज लेते हैं। कई बार मौसमी सर्दी, जुकाम और खांसी के लिए इन दवाइयों को जरूरत भी नहीं होती है।
डॉक्टर जो दवाइयां हमें देते हैं वो एंटीबायोटिक्स होती हैं, जिनका प्रॉपर कोर्स पूरा करना बहुत जरूरी है। कुछ लोग इसे 1-2 बार खाकर ही छोड़ देते हैं और फिर बीमार पड़ने पर उन्हें लेने लगते हैं। यदि आप अक्सर एंटीबायोटिक्स लेते हैं, तो आपका शरीर एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध पैदा कर सकता है, जिससे एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी हो सकते हैं।
अब ऐसे में घरेलू उपचार की मदद ली जा सकती है। कुछ हर्ब्स ऐसी हैं जिनके सेवन से कोल्ड, फ्लू और कफ में बड़ा आराम मिल सकता है। सर्दियों में तो ये हर्ब्स आपके किचन में भी मौजूद होनी चाहिए, ताकि जब भी आपको सर्दी और जुकाम लगे तो आपको तुरंत आराम मिल सकता है। हां अगर आप कुछ हफ्तों के बाद भी बीमार महसूस करते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
लहसुन में यौगिक एलिसिन होता है, जिसमें रोगाणुरोधी गुण हो सकते हैं। इसके एंटीवायरल गुण सर्दी के लक्षणों की गंभीरता कम हो सकती है। कुछ शोधों के अनुसार, यह आपको पहली बार में बीमार होने से बचाने में भी मदद कर सकता है। आप लहसुन को भूनकर खाने के साथ ले सकते हैं या फिर खाना बनाते वक्त इसे शामिल करें। लहसुन की तासीर गर्म होती है तो यह आपके शरीर को गर्माहट भी पहुंचाता है और पाचन तंत्र को भी बेहतर करता है।
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थाइम में एंटीवायरल, एंटीबायोटिक, रोगाणुरोधी, डीकॉन्गेस्टेंट, एक्सपेक्टोरेंट कायाकल्प गुण होते हैं जो आपको सर्दी या फ्लू से लड़ने या कम करने में मदद करते हैं। थाइम प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत कर सकता है। इसकी चाय बनाकर उसका सेवन किया जा सकता है और आप इसमें अदरक भी डाल सकती हैं, ताकि आपके गले को भी राहत मिले। यह खांसी में आराम देगा और नेजल कंजेशन को भी खोलने में मदद करता है (बहती नाक को रोकने के उपाय)।
रोजमेरी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो सदियों से सर्दी और गले की खराश से राहत दिलाने में उपयोग में लाई जाती है। इसके एंटी-वायरल और एंटी-माइक्रोबियल गुण सिरदर्द को कम करने में मदद करते हैं। इसकी पत्तियों को पानी में डालकर उबालने और भाप लेने से नाक और छाती के जमाव साफ हो सकता है। इसे चाय में डालकर पीने से आपको दर्द में भी आराम मिलेगा और खराश में भी कमी होगी है। यह सर्कुलेटरी सिस्टम को स्टीमुलेट करके ब्रेन में ब्लड फ्लो करने में हेल्प करता है।
तुलसी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जो खांसी, जुकाम और फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है। इसका सेवन करने का एक सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे सलाद, सूप और यहां तक कि दालों पर गार्निश के रूप में इस्तेमाल किया जाए। यह ब्रोंकाइटिस, इन्फ्लुएंजा और अस्थमा से राहत दिलाता है, वहीं इसकी पत्तियों को चबाने से सर्दी से राहत मिलती है। गले की खराश को कम करने के लिए आप गर्म पानी में तुलसी के पत्ते (तुलसी के पत्तों के उपाय) डालकर गरारे कर सकती हैं।
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इन जड़ी-बूटियों का सेवन करने से सर्दी, जुकाम और खांसी में आपको काफी राहत मिलेगी। मगर ध्यान रखें कि अगर किसी हर्ब्स से आपको परेशानी होती है तो उसे रोककर डॉक्टर से संपर्क करें।
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