फ़िल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुरखा’ में अपने अभिनय से सभी को इम्प्रेस करने वालीं आहाना कुमरा ने आम जनता से लेकर सेलेब्रिटीज़ को होने वाली Anxiety और Depression जैसी परेशानियों के बारे में हमसे खुलकर बात की और कहा कि लोग इसे नज़रअंदाज़ करते हैं क्यूंकि यहाँ सभी को अच्छा दिखना होता है। दिमाग में चल रही प्रॉब्लम्स के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता।
आहाना ने हमें बताया कि कैसे एक एक्टर और इस इंडस्ट्री का हिस्सा बनने के लिए तड़प रहे स्ट्रगलर को इन पेशानियों का सामना करना पड़ता है और कैसे छोटे मोटे आसान तरीकों से भी आप इन सबसे निकल सकते हैं। आइये जानते हैं-
Image Courtesy: Aahanakumra/Instagram
Psychiatrist से मिलना मतलब ये नहीं कि आप पागल हैं
आहाना कहती हैं कि लोग ना जाने क्यों इन सब बारे में बात नहीं करते। मेंटल और डेंटल पेशानियों को लोग शेयर नहीं करते और जरुरी भी नहीं समझते क्यूंकि ये दिखती नहीं है ना। फिजिकल सबको फिट रहना है, चेहरे पर चौबीस घंटे मुस्कान रखनी है मगर खुलकर रोने को लोग नार्मल नहीं समझते। ऐसे में अगर कोई सलाह दें psychiatrist से मिलने की तो लोगों को लगता है कि उन्हें पागल कहा जा रहा है, ये नहीं समझते कि psychiatrist से मिलने का मतलब ये नहीं है कि आप पागल हैं।
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बॉलीवुड इंडस्ट्री हाई प्रेशर जॉब है
आहाना ने आगे कहा कि वैसे, तो हर जगह आगे बढ़ने का कॉम्पिटिशन है। हर कोई भाग रहा है और सबको सबकुछ जल्दी चाहिए होता है। मैं जानती हूँ कि इंडस्ट्री के लोगों के दिमाग में हमेशा यही चलता रहता है कि मैं कैसा लग रहा हूँ, मेरा किरदार क्या है, स्क्रीन स्पेस मिल तो रहा है न, लोग पसंद करेंगे या नहीं।
ये सबकुछ सोचते हुए आप सुकून की नींद कैसे ले सकते हैं? आपने थोड़ी सी लापरवाही बरती और ये इंडस्ट्री आपको भूल जाएगी, यह एक हाई प्रेशर जॉब है जहां लोग शांत नहीं है।
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मुझे भी Anxiety फील होती है मगर इसका इलाज है ‘बात करो’
आहाना बताती हैं कि वो भी ऐसे दौर से गुज़री हैं और गुज़रती हैं जब उन्हें Anxiety फील होता है। ऐसा लगता है कि जो हो रहा है क्या वो सही है? उनका फ्यूचर क्या है? वो अगर कहीं हार गई तो, आगे नहीं बढ़ पाई तो? इस तरह के सवाल आपको कभी न कभी घेरते ही हैं। लेकिन, मैं बहुत खुश हूँ कि मेरे आसपास ऐसे लोग हैं जो बात करने के लिए हमेशा तैयार होते हैं। मैं खुद भी जब मन आता है अपनी परेशानियां किसी न किसी से शेयर जरूर करती हूँ। मुझे लगता है बात करना ही इसका इलाज है और हर किसी से मत कीजिये बात। कोई ऐसा ढूंढों जो आपको पर्सनली जानता हो, बचपन का दोस्त, पेरेंट्स, भाई या बहन!
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