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Stomach Gas: खाने के बाद पेट में बनता है गैस का गुब्‍बारा, ये 3 नुस्‍खे करेंगे कमाल और खत्‍म होगी एसिडिटी

कई बार ऐसा होता है कि खाना खाने के बाद ही पेट में गैस बनने लगती हैं। इससे काफी परेशानी महसूस होती है। अगर आपको भी ऐसी ही समस्‍या का सामना कर रही है, तो इस आर्टिकल में एक्‍सपर्ट के बताए आयुर्वेदिक नुस्‍खे मददगार हो सकते हैं।   
Editorial
Updated:- 2025-08-28, 16:12 IST

खाने के बाद पेट में गैस बनना और एसिडिटी महसूस होना एक आम समस्या है, जिससे अक्सर महिलाएं परेशान रहती हैं। आजकल की लाइफस्‍टाइल में, गलत खान-पान और बढ़ते तनाव के कारण शरीर में एसिडिटी और पित्त दोष बढ़ने लगता है। जब पित्त दोष बढ़ जाता है, तब इसके लक्षण साफ दिखाई देते हैं, जैसे पेट में गैस, जलन, सिरदर्द, माइग्रेन और चेहरे पर मुंहासे।

अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद में ऐसे कई आसान और असरदार उपाय मौजूद हैं, जो एसिडिटी को कम करने और पित्त दोष को बैलेंस कर सकते हैं। ये नुस्खे न सिर्फ डाइजेशन को अच्‍छा बनाते हैं, बल्कि कब्ज और अन्य गैस्ट्रिक समस्याओं से भी राहत दिलाते हैं। इन उपायों के बारे में हमें आयुर्वेदिक डॉक्‍टर चैताली राठौड़ बता रही हैं।

सौंफ + मिश्री

भारतीय घरों में सौंफ और मिश्री का इस्तेमाल खूब किया जाता है। अक्सर खाने के बाद सौंफ चबाई जाती है और खांसी होने पर हमारे बुजुर्ग मिश्री खाने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि दोनों के ही अपने औषधीय गुण हैं। सौंफ की तासीर ठंडी होती है और आयुर्वेद में इसे पित्त शांत करने वाली जड़ी-बूटी माना गया है। वहीं, मिश्री एक सुपर कूलेंट यानी शरीर को ठंडक देने का काम करती है।

Fennel seeds + Mishri to reduce acidity

कैसे खाएं?

जब इन दोनों चीजों को मिलाया जाता है, तब इनके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। खाने के बाद थोड़ी सी सौंफ और मिश्री को मिलाकर धीरे-धीरे चबाएं। यह कॉम्बिनेशन डाइजेशन को बेहतर बनाता है और पेट में एसिड लेवल को बैलेंस करता है।

धनिया के बीजों की चाय

यह चाय एसिडिटी के लिए किसी जादू से कम नहीं है। यह एसिडिटी, माइग्रेन, सीने में जलन और पेट में होने वाली बेचैनी को कम करने में असरदार है।

Coriander tea to balance pitta dosha

कैसे पिएं?

  • इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच धनिया के बीज डालकर रात-भर के लिए छोड़ दें।
  • अगली सुबह, इस पानी को 2 मिनट तक उबालें।
  • फिर, छानकर गुनगुना करके पिएं।

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भीगी हुई काली किशमिश

किशमिश सिर्फ आपके व्यंजनों में मिठास ही नहीं लाती है, बल्कि यह आपके डाइजेस्टिव सिस्‍टम के लिए भी फायदेमंद होती है। खासकर काली किशमिश, जिसका उपयोग आयुर्वेद में पित्त दोष को बैलेंस करने के लिए किया जाता है। यह पित्त को शांत करने का टेस्‍टी और नेचुरल तरीका है।

किशमिश को भिगोने से उनकी तासीर ठंडी हो जाती है, जिससे वे पेट की जलन, एसिडिटी और अन्य पित्त संबंधी समस्याओं को कम करने में अधिक प्रभावी होती हैं। यह कब्ज में भी राहत देती है और डाइजेशन को हेल्दी रखती है।

Soaked Black raisins for acidity

कैसे खाएं?

  • रात में सोने से पहले एक मुट्ठी काली किशमिश को पर्याप्त पानी में भिगो दें।
  • अगली सुबह, नाश्ता करने से पहले इन भीगी हुई किशमिश को खाएं।
  • आप चाहें, तो इसके मीठे और पौष्टिक पानी को भी पी सकती हैं।

ये तीनों उपाय और पित्त असंतुलन से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं।

इन उपायों को अपनाने के साथ-साथ, आपको मसालेदार, खट्टी और फर्मेंटेड चीजों का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि ये पित्त दोष को बढ़ाते हैं। इन छोटी-छोटी आदतों को अपनाकर आप अपने डाइजेशन को हेल्‍दी रख सकती हैं।

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Image Credit: Shutterstock 

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