जंतर-मंतर पर किसी ना किसी चीज को लेकर प्रोटेस्ट होता ही रहता है। हाल ही में भारत राष्ट्रीय समिती (BRS) की लीडर के कविता ने हंगर स्ट्राइक की थी। इस भूख हड़ताल का कारण था महिलाओं के लिए रिजर्वेशन बिल को पास करवाना। इस बिल को लेकर सालों से मांग चल रही है और अभी तक कोई ठोस कानून नहीं बन पाया है। तेलंगाना राज्य के कई मिनिस्टर्स भी इस स्ट्राइक का हिस्सा बने थे।
इस इवेंट में 12 राष्ट्रीय और स्थानीय पार्टियों ने हिस्सा लिया था। महिला रिजर्वेशन बिल को 2010 में ही राज्य सभा में स्वीकृति मिल गई थी, लेकिन लोक सभा में ये बिल 13 सालों से अटका हुआ है। इस बिल को पास करवाने की डिमांड नई नहीं है और इसके पहले की सरकारों ने तो इस बिल को लोकसभा में पेश ही नहीं किया है।
अब एक बार फिर से इस बिल को पास करने की मांग उठ चुकी है। चलिए आपको इस बिल के बारे में सारी डिटेल्स बताते हैं।
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क्या है महिला रिजर्वेशन बिल?
इस बिल का असली उद्देश्य है कि महिलाओं को लोकसभा और राज्य सभा में एक तिहाई सीटें मिलें। इस बिल को सबसे पहले 1996 में प्रपोज किया गया था, लेकिन तब से लेकर आज तक ये पारित नहीं हो पाया है। इसे कई बार संसद में पेश किया गया और आखिर 14 साल बाद 2010 में इसे राज्य सभा में मंजूरी मिल गई। पर फिर भी 2014 में 15वीं लोकसभा खंडित होने से पहले ये बिल पास नहीं हो पाया और इसलिए इसे एक्सपायर कर दिया गया।
कब से चल रही है इस बिल पर चर्चा?
इस बिल को भले ही पहली बार 1996 में प्रपोज किया गया हो, लेकिन इसकी चर्चा 1993 से ही चल रही है। 1993 में संवैधानिक संशोधन हुआ जिसमें ग्राम पंचायत और स्थानीय संसद में एक तिहाई महिलाओं को शामिल करने का निश्चय किया गया। इसके बाद ही राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को एक तिहाई सीटें देने की बात शुरू हुई। तब से ही ये बिल टल रहा है। लगभग हर सरकार का ये तर्क रहा है कि इस बिल को लेकर सही स्ट्रैटजी नहीं बन पा रही है।
आखिर क्यों है महिला रिजर्वेशन बिल की जरूरत?
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 की मानें तो भारत में पॉलिटिकल एम्पावरमेंट इंडेक्स 13.5 प्रतिशत गिर गया है। इतना ही नहीं इकोनॉमिक सर्वे भी यही कहता है कि लोक सभा और अन्य संसद में महिलाओं की जरूरत है।
अब अगर हम गांव और पंचायतों को देखें तो महिला उम्मीदवारों ने कई तरह के सामाजिक विकास किए हैं। कई गांव ऐसे हैं जहां महिला सरपंचों ने नक्शा ही बदल दिया है और महिलाओं एवं बच्चों के लिए कई नई पॉलिसी बनाई हैं।
राजस्थान के सोडा गांव की महिला सरपंच छवि भारत के सबसे चर्चित नामों में से एक हैं। उन्होंने एक बड़ी टेलिकॉम कंपनी में अपनी नौकरी छोड़कर 2010 में चुनाव लड़ा और अपने गांव की सरपंच बन गईं। ऐसे ही कई किस्से आपको गाहे-बगाहे भारत के गावों में मिल ही जाएंगे। ऐसे में महिला रिजर्वेशन बिल की जरूरत भी बढ़ जाती है।
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क्या वाकई महिला रिजर्वेशन बिल से हो सकता है फायदा?
ये सही है कि महिला रिजर्वेशन बिल को पास न करने को लेकर तरह-तरह की बातें होती हैं। पर एक बात जो समझने वाली है वो ये कि भारत में महिलाओं की सामाजिक हालत में सुधार की जरूरत है। भारत में आए दिन महिलाओं के लिए कोई ना कोई पॉलिसी निकालने की बात चलती है, लेकिन दुख की बात ये है कि ऐसी पॉलिसी बनाने वाले पुरुष होते हैं। अगर संसद में महिलाएं होंगी तो ऐसी पॉलिसी बेहतर तरीके से बन पाएंगी।
ये बिल पास होने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा। अब सोचिए कि इन 15 सालों में कितना कुछ बदल सकता है। आपकी इस मामले में क्या राय है? महिला रिजर्वेशन बिल लागू होना चाहिए या नहीं? अपने जवाब हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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