सुरकंडा माता का मंदिर भक्तों के लिए आध्यात्मिक स्थान होने के साथ-साथ ट्रेकिंग स्थल भी बन गया है। यहां रोपवे की भी सुविधा मिलती है। लेकिन लोग यहां ज्यादा से ज्यादा पैदल यात्रा करना पसंद करते हैं। ऊंचाई पर होने की वजह से सर्दियों के मौसम में यहां ट्रेकिंग करना लोगों को पसंद आता है। हालांकि, यहां चढ़ाई करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि सीधी सीढियां होने की वजह से आप 30-40 कदम चलकर ही हांफने लगेंगे।
हालांकि, मंदिर का नजारा देखने के बाद आप इसे भुला नहीं पाएंगे। मंदिर भले ही 2750 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, लेकिन जब यहां बर्फ पड़ती है, तो यह एक आकर्षक नजारा पेश करती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको सुरकंडा माता मंदिर दर्शन से जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से देंगे। उत्तराखंड घूमने का प्लान बना रहे लोगों को एक बार इस मंदिर में जाने का प्लान जरूर बनाना चाहिए।
कहां से पहुंचना होगा आसान?
धनौल्टी से लगभग 8 किमी और मसूरी से लगभग 33 किमी की दूरी पर यह मंदिर स्थित है। इसलिए अगर आप इन हिल स्टेशन पर घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो मंदिर दर्शन करने जा सकते हैं। मंदिर की खूबसूरती और ट्रेकिंग का आनंद लेने के लिए अधिकतर लोग यहां जाना पसंद करते हैं।
सुरकंडा मंदिर में रोपवे की सुविधा
अगर आपके साथ बुजुर्ग या बच्चे हैं और आप उनके साथ पैदल चलकर मंदिर दर्शन के लिए नहीं जा सकते हैं, तो आप रोपवे से दर्शन के लिए जा सकते हैं। मंदिर में रोपवे की सुविधा सस्ती है। इसमें आने-जाने की सुविधा मिलती है, इसलिए आपको दिक्कत नहीं होगी। हालांकि, ध्यान रखें कि शाम 5 बजे के बाद रोपवे की सुविधा बंद हो जाती है।
सुरकंडा मंदिर में रोपवे टिकट प्राइस
मंदिर तक रोपवे का टिकट प्राइस मात्र 205 रुपये है। 205 रुपये में ही आप आना-जाना दोनों कर पाएंगे। टिकट सस्ती होने की वजह से लोग रोपवे का आनंद भी उठाते हैं और दर्शन भी आसान हो जाता है।
ध्यान रखें कि लगभग शाम 5 से 6 बजे के बाद आपको रोपवे से ऊपर जाने के लिए 205 रुपये देने होंगे। लेकिन रोपवे से नीचे नहीं आ पाएंगे। रोपवे से वापस आने की सुविधा बंद कर दी जाती है। इसलिए 205 रुपये में केवल रोपवे से ऊपर ही जा पाएंगे। हालांकि 5 बजे से पहले रोपवे से ऊपर जाने और नीचे दोनों की सुविधा मिलती है।
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रोपवे में बैठने के दौरान ध्यान रखें
- अगर आप रोपवे में सफर कर रहे हैं, तो ध्यान रखें कि केबिन में एक साथ केवल 6 लोग ही बैठ सकते हैं।
- इसके अलावा आप केबिन खड़े होकर फोटो या वीडियो नहीं बना सकते।
- केबिन का दरवाजा भी खोलना मना है।
- रोपवे अगर किसी कारणवश रूक जाता है, तो परेशान न हो और इसमें ज्यादा हिले नहीं। क्योंकि, कर्मचारी आपकी सहायता के लिए खड़े रहते हैं।
- केबिन में खाना-पीना और गंदगी करना मना है।
सुरकंडा माता मंदिर में ट्रेकिंग करना कितना आसान?
ऊंचाई और सीधी खड़ी सीढ़ियां होने की वजह से मंदिर दर्शन करना आसान नहीं लगता। अगर आप फुर्तीले नहीं है, तो आप हर 2 से 3 मिनट चलने के बाद थका हुआ अहसास करेंगे। मंदिर में पर्यटकों की भीड़ हमेशा लगी रहती है, लेकिन ज्यादातर लोग रोपवे से जाना पसंद करते हैं। अगर आप ट्रेक कर रहे हैं, तो चिंता न करें। क्योंकि जगह-जगह बैठने के लिए चेयर बनाई गई है। इसके अलावा खाने-पीने के स्टॉल भी है। इसलिए रूक-रूक कर आप चढ़ाई कर सकते हैं। मंदिर तक पहुंचने में आपको 1 से 1.30 घंटे का समय लग सकता है।यहमसूरी के पास घूमने के लिए अच्छी जगहमें से एक है।
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मंदिर खुलने का समय
- अगर आप सर्दियों के मौसम में माता के दर्शन के लिए जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आप सुबह 8 बजे से 12 बजे तक और 12.30 बजे से शाम 7 बजे तक ही दर्शन कर पाएंगे।
- गर्मियों के मौसम में मंदिर सुबह 7 बजे खुल जाता है। यहां आप रात 8 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
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image credit- Hzi
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