दिल्ली में इन मान्युमेंट्स को नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा

दिल्ली में यूं तो घूमने की कई जगह हैं, लेकिन अगर आप बच्चों को अपने समृद्ध इतिहास से परिचित करवाना चाहते हैं तो उन्हें दिल्ली में स्थित इन मॉन्युमेंट्स पर अवश्य लेकर जाएं।

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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली एक ऐसा शहर है, जहां पर आपको आधुनिक और प्राचीनता का एक बेहतरीन संगम देखने को मिलता है। दिल्ली का अपना एक समृद्ध इतिहास है, जो यहां के आर्किटेक्चर और हैरिटेज साइट्स में नजर आता है। दिल्ली में कुतुब मीनार से लेकर लाल किला, हुमायूं के मकबरा, पुराना किला जैसे कई मान्युमेंट्स हैं, जो आज भी इतिहास की कहानी को बयां करते हैं। अगर आप भी बच्चों को सिर्फ किताबों के जरिए इतिहास नहीं दिखाना चाहते तो एक बार इन मान्युमेंट्स में अवश्य लेकर जाएं। यहां पर बच्चों को बहुत कुछ देखने व सीखने को मिलेगा। यकीन मानिए, यहां आने के बाद बच्चे इतिहास के उस पहलू से रूबरू होंगे, जिन्हें महज किताबों के जरिए समझा पाना लगभग असंभव है।

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हुमायूँ का मकबरा

हुमायूँ का मकबरा, मुगल काल में बना फारसी वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। यह खूबसूरत स्मारक लाल बलुआ पत्थर से बना है। यहाँ मुख्य इमारत मुगल सम्राट हुमायूँ का मकबरा है, जिसे बनने में करीब आठ साल लगे। वैसे यहां पर हुमायूँ की कब्र सहित उसकी बेगम हमीदा बानो और कई अन्य राजसी लोगों की भी कब्रें हैं। यह मकबरा चारबाग स्टाइल के गार्डन के बीचों-बीच है। इसके दो एंटेस गेट हैं, एक साउथ की तरफ और दूसरा वेस्ट की तरफ। उच्च केंद्रीय मेहराब और संरचना के अष्टकोणीय आकार मुगल वास्तुकला के महत्वपूर्ण सौंदर्यशास्त्र हैं। 1993 में इस इमारत को यूनेस्को द्वारा वल्र्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया।

कुतुब मीनार

73 मीटर ऊंचे कुतुब मीनार को कुतुब-उद-दीन ऐबक ने साल 1193 में बनवाया था। दिल्ली के आखिरी हिंदू शासक की हार के बाद मुस्लिम वर्चस्व का जश्न मनाने के लिए कुतुब मीनार बनवाया गया था। यह भारत का सबसे ऊंचा टॉवर है, जिसमें पाँच लेवल और प्रोजेक्टिंग बाल्कनियाँ हैं। शुरूआती तीन स्तर लाल बलुआ पत्थर और आखिरी दो संगमरमर और बलुआ पत्थर से बने हैं। कुतुब मीनार में तीन अलग-अलग प्रकार के आर्किटेक्चरल स्टाइल देखने को मिलते हैं। कुतुब मीनार भारत में सबसे अधिक देखी जाने वाली और सबसे अधिक फोटो वाली स्मारकों में से एक है और इसे कई फिल्मों और डाक्यूमेन्ट्री में भी दिखाया गया है।

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लाल किला

पुरानी दिल्ली में स्थित लाल किला 1648 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा बनाया गया था, जिसे पूरा होने में लगभग दस साल लगे। बड़े पैमाने पर लाल रंग के बलुआ पत्थर का इस्तेमाल होने के कारण इसे लाल किला नाम दिया गया। लाहौर द्वार और दिल्ली गेट लाल किला के दो प्रवेश द्वार हैं। प्रसिद्ध मीना बाजार लाल किले के अंदर स्थित है, जो स्मृति चिन्ह, क्राफट और हैंडीक्राफट चीजों को खरीदने के लिए अच्छा है। लाल किले की शेप आक्टैगनल अर्थात अष्टकोणीय है और इसकी दीवारों को फूल व कॉलिग्राफी के जरिए सजाया गया है, जो मुगल युग के आर्किटेक्चर की बेहतरीन झलक पेश करती है। इसकी खासियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल प्रधानमंत्री भारत के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को लाल किले से ही संबोधित करते हैं।

जामा मस्जिद

जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद को सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाया गया था। मुगल शासक शाहजहाँ का यह अंतिम आर्किटेक्चरल काम था, इसके बाद उन्होंने किसी कलात्मक इमारत का निर्माण नही किया। इस मस्जिद का निर्माण 1650 में शुरू किया गया था जो 1656 में पूरा हुआ। जामा मस्जिद के विशाल आंगन में लगभग पच्चीस हजार लोग एक साथ पूजा कर सकते हैं। इसमें तीन राजसी द्वार हैं, 40 मीटर ऊंची चार मीनारें हैं जो लाल बलुआ पत्थरों एवं सफ़ेद संगमरमर से बनी हुई हैं। इसके मुख्य प्रार्थना हॉल में एक सुंदर सफेद छत है। मस्जिद के ठीक बीच में एक पूल है जिसका उपयोग प्रार्थना से पहले सफाई के लिए किया जाता है। यहां पर आने वाले लोग शॉर्ट्स, शॉर्ट स्कर्ट या स्लीवलेस टॉप्स आदि नहीं पहल सकते। चूंकि यह प्रार्थना घर है, इसलिए एंट्रेंस पर अपने जूते निकालना आवश्यक है। यह मस्जिद दिल्ली में लाल किले के सामने है।

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पुराना किला

पुराना किला दिल्ली के सबसे प्राचीन किलो में से एक है, जिसे अफगान राजा शेर शाह सूरी ने बनवाया था। किले में तीन एंट्रेंस गेट हैं- बड़ा दरवाजा, हुमायूं गेट और तालाकी गेट। सभी गेट डबल स्टोरी स्ट्रक्टचर है, जिनका निर्माण बलुआ पत्थर के उपयोग से किया गया था। किले के सभी गेट को बड़े-बड़े पत्थरो से बनाया गया है और इनके दोनों तरफ दो टावर भी बनाए गये है। किले के सभी गेट उस समय की प्रसिद्ध कलाकृतियों से सजाया गया है। आज भी पुराने किले में हर शाम सूर्यास्त के बाद साउंड और लाइट का प्रदर्शन किया जाता है, जिसे हजारो लोग देखने के लिए आते है और इसका लुफ्त उठाते है। आप भी बच्चों को एक बार इस किले में अवश्य लेकर जाएं।

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