ऐसा कहा जाता है कि गंगोत्री और यमुनोत्री में स्नान कर इंसान अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, इस साल आपको यह मौका अप्रैल में मिलेगा जब आप गंगोत्री और यमुनोत्री में स्नान कर पाएंगी।
अभी हाल ही में मां यमुना के मायके खरखली में यमुनोत्री मंदिर समिति की बैठक में गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट उदघाटन का शुभ मुहूर्त निकाला गया है।
यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने का मुहूर्त
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यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 'अक्षय तृतीया' के पावन अवसर पर 18 अप्रैल को खोले जाएंगे। गंगोत्री धाम का कपाट दोपहर 1:15 मिनट पर खोले जाएंगे और यमुनोत्री धाम का कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ दोपहर 12.15 मिनट पर खुलेंगे। इन धाम की समिति ने ये निर्णय लिया है।
कुछ इस तरह यमुनोत्री और गंगोत्री की पूरी यात्रा रहेगी, सबसे पहले मां यमुना की डोली भगवान शनि देव की अगुवाई में खुशीमठ से सुबह नौ बजे खरसाली से सैकड़ों श्रद्धालुओं के साथ यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेंगी जो दोपहर 11 बजे यमुनोत्री धाम पहुंचेगी।
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अक्षय तृतीया के दिन दोपहर 12:15 बजे पर यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे। गंगोत्री धाम के कपाट भी इसी दिन 1:15 बजे पर श्रद्धालुओं के दर्शन खोलें जाएंगे।
पहला धाम यमुनोत्री
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चार धामों में से पहला धाम यमुनोत्री का है। यमुना का उद्गम मात्र एक किमी की दूरी पर है। यहां बंदरपूंछ चोटी के पश्चिमी अंत में फैले यमुनोत्री ग्लेशियर को देखना अत्यंत रोमांचक होता है।
गढ़वाल हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है। यमुना पावन नदी का स्रोत कालिंदी पर्वत है। तीर्थ स्थल से एक किमी दूर यह स्थल 4421 मी. ऊंचाई पर स्थित है।
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कठिन चढ़ाई होने के कारण श्रद्धालू इस उद्गम स्थल को देखने से वंचित रह जाते हैं। यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है। पानी के मुख्य स्रोतों में से एक सूर्यकुंड है।
गंगोत्री धाम
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गंगोत्री से 19 किलोमीटर दूर 3,892 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौमुख गंगोत्री ग्लेशियर का मुहाना और भागीरथी नदी का उद्गम स्थल है। ऐसा कहते हैं कि यहां के बर्फिले पानी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं।
गंगोत्री से यहां तक की दूरी पैदल या फिर टट्टुओं पर सवार होकर पूरी की जाती है। यहां की चढ़ाई उतनी कठिन नहीं है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते हैं।
यमुनोत्री और गंगोत्री में हर साल स्नान करने के लिए हजारों भक्त आते हैं और यहां स्नान करने के बाद उन्हें शांति मिलती हैं जैसे मानो उनके जिंदगी भर के पाप एक बार में ही धूल गए हों।
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