आज दिल्ली में प्रदूषण की जो स्थिति है वो 1952 में लंदन के ग्रेट स्मॉग की तरह मानी जा रही है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से खतरनाक स्थिति बन गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का स्तर 100 तक सामान्य है, हालांकि दिल्ली का एक्यूआई आमतौर पर 300 से 400 के बीच रहता है लेकिन पिछले कुछ दिन से ये स्तर 440 तक भी पहुंच गया था। प्रदूषण का स्तर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) द्वारा घोषित सुरक्षित स्तर से 30 गुणा ज्यादा है।
दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर स्मॉग से बचने के लिए कई लोग मुंह पर मास्क लगाए हुए नजर आ रहे हैं और साथ ही एयर प्यूरिफायर का यूज़ भी बढ़ता ही जा रहा है। आज मार्केट में लगभग 300 से अधिक किस्म के प्यूरिफायर उपलब्ध हैं। दिल्ली-एनसीआर, यूपी और आसपास के विभिन्न इलाकों में जहरीली धुंध छाने से गैस चैंबर जैसी स्थिति बन गई है।
इस प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ऑड-ईवन तक को फिर से लागू कर चुकी है।
क्या आप जानते हैं इंडिया के अलावा कई अन्य देश भी प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्होंने कुछ ऐसे तरीके अपनाएं जिससे उन्हें प्रदूषण कम करने में मदद मिली।
चीन
साल 2014 में चीन के कई शहरों में प्रदूषण बहुत बढ़ गया था। साथ ही प्रदूषण का स्तर पॉल्यूशन कैपिटल कहलाने वाले बीजिंग में भी ज्यादा पाया गया था। इसके बाद चीन ने प्रदूषण से निपटने के लिए प्रयास शुरू कर दिए थे। चीन ने मल्टी-फंक्शन डस्ट सेप्रेशन ट्रक का इस्तेमाल किया था, यह एक विशाल ट्रक होता है जिसके ऊपर एक विशाल वॉटर कैनन लगा होता है और इससे 200 फीट ऊपर से पानी का छिड़काव होता है।
फ्रांस
एक समय में फ्रांस की राजधानी पेरिस में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिसे देखते हुए वहां कार चलाने पर पाबंदी लगा दी गई थी और साथ ही वहां ऑड-ईवन का तरीका भी अपनाया गया था। सार्वजनिक वाहनों को भी फ्री कर दिया गया था।
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स्विटज़रलैंड
जब स्विट्ज़रलैंड में प्रदूषण का स्तर बढ़ा था तो कार पार्किंग की जगहें कम की गई थी ताकि पार्किंग न मिलने के कारण लोग कम से कम कार का इस्तेमाल करें। इस कारण प्रदूषण से निजात पाने में कुछ हद तक सफलता जरूर मिली थी।
जर्मनी
जर्मनी के फ्रीबर्ग में प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया था। साथ ही यहां सस्ती परिवहन व्यवस्था पर जोर दिया गया था। बिना कार के रहने पर लोगों को सस्ते घर, मुफ्त सार्वजनिक वाहन और साइकिलों के लिए जगह दी गई थी।
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