एक वक्त था जब हमारे देश को सोने की चुड़िया कहा था। इसलिए हमारे देश पर दुनिया की नजर रहती थी, हमले होते थे और सल्तनत कब्जा कर अपना गुलाम बना लिया करती। मुगलों से लेकर पूर्तगालियों तक कई शक्तियों ने हमारे देश पर आक्रमण कर, उसे बुरी तरह से लूटा और कई सालों तक राज किया।
हालांकि, हमारे गुलाम बनने की कई वजह रही हैं, लेकिन बड़ी वजह राजाओं के आपसी मतभेद होना था। इस लिस्ट में मुगल साम्राज्य भी आता है, जिसने लगभग सन 1526 से 1707 तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी।
इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था, जिन्होंने अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया। समाज को न सिर्फ आगे बढ़ाने का काम किया, बल्कि कई ऐतिहासिक चीजें दे गया।
इमारतों के अलावा, कई ऐसी चीजें हैं जिसकी कीमत आज के दौर में लाखों में है जैसे- सोने का सिक्का। हम किसी आम सिक्के की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े सिक्के के बारे में बात कर रहे हैं। इसे मुगल साम्राज्य के दौर में ही बनवाया था।
कौन था मुगल बादशाह जहांगीर?
जहांगीर, अकबर के बाद मुगल साम्राज्य का सबसे महान बादशाह था। अकबर का जन्म 31 अगस्त 1569 को सिंध फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ था, उनको सलीम और नूरुद्दीन मुहम्मद जहांगीर के नाम से भी जाना जाता था।
जहांगीर, अकबर मुगल बादशाह का बेटा था, जिसने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कार्य करवाए। हिन्दुस्तान पर जहांगीर ने 3 नवंबर 1605 से लेकर 28 अक्टूबर 1627 शासन किया था। इस दौरान जहांगीर ने कई शादियां भी की थीं।
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दुनिया का सबसे बड़ा सिक्का किसने बनवाया था?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा सोने का सिक्का मुगल बादशाह जहांगीर द्वारा बनवाया गया था। इतिहासकारों का इसका जिक्र जहांगीर की आत्मकथा तुज्क-ए-जहांगीर में भी मिलता है। कहा जाता है कि सोने के सिक्के एक नहीं बल्कि दो हैं, जिसे ईरान के राजदूत को भेंट देने के लिए बनवाए थे।
आखिरी बार हैदराबाद के निजाम के पास था सिक्का
अब सवाल यह है कि मुगल साम्राज्य के बाद कहां गया? तो बता दें कि जहांगीर ने 1000 मुहर का 1 सिक्का उन्होंने ईरान के राजदूत जमील बेग को तोहफे में दिया था। वहीं, दूसरा सिक्का सन 1987 में स्विटज़रलैंड में एक नीलामी में रख दिया गया था, जिसे एक अमीर व्यक्ति ने खरीद लिया था।
इस सिक्के की कीमत 1 करोड़ तय की गई थी, जिसकी नीलामी हैदराबाद के अंतिम निजाम मुक्करम शाह ने की थी। इससे यह साफ है कि आखिरी बार इसे हैदराबाद के निजाम के पास देखा गया था।
कैसा था सोने के सिक्के का डिजाइन?
भारतीय इतिहासकारों का मानना है कि ये सिक्के बहुत भारी थे, जिसका वजन 12 किलो है। यह सिक्का इतना बड़ा है कोई अकेला व्यक्ति इसे उठा नहीं सकता है। इस सिक्के का व्यास 21 सेमी है, जिसे डिजाइन करने के लिए सैकड़ों कारीगर लगाए गए थे।
इस सिक्के को खास तरीके से डिजाइन किया गया है, जिसमें मुगल बादशाह जहांगीर का नाम रेखांकित किया गया है। इस पर ‘बा-हुक्म शाह जहांगीर याफ्त सद जेवर, बनाम नूरजहां बादशाह बेगम ज़र’ भी लिखा है।
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‘मुहर’ के रूप में दर्ज है ये सिक्का
भारत सरकार के दस्तावेजों में ये सिक्का ‘मुहर’ के नाम से दर्ज है। मगर सन 1987 के ये सिक्का गायब हो गया है, लेकिन जब स्विट्जरलैंड से नीलामी की खबर आई तो लोगों में उत्सुकता पैदा हो गई थी। बता दें कि जहांगीर के शासनकाल में 100, 200, 500 और यहां तक की 1000 मूल्य के सिक्के बनते थे।
कम मूल्य के सिक्कों का इस्तेमाल जहां रोजमर्रा की चीजें खरीदने के लिए किया जाता था, वहीं अधिक मूल्य के सिक्के उन अधिकारियों को दिए जाते थे।
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Image Credit- (@Freepik)
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