इतिहास की किताबों में दर्ज मुगल शासन को आज भी याद किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मुगलों ने भारत पर कई सालों तक राज किया था। मगर कहा जाता है कि मुगल इतिहास के सबसे शक्तिशाली बादशाह अकबर और जहांगीर थे। हालांकि, शायद ही कोई होगा जिसने जहांगीर के बारे में नहीं सुना होगा क्योंकि जहांगीर की मोहब्बत की मिसाल आज भी दी जाती है।
वैसे तो इतिहास के पन्नों में कई ऐसी कहानियां बिखरी हुई हैं, जो अधूरी तो हैं लेकिन वह अमर हैं और उन्हें अभी तक याद किया जाता है जैसे लैला-मजनू, हीर-रांझा, रोमियो-जूलियट आदि की। इन्हीं में से एक सलीम-अनारकली की अमर प्रेम कहानी है जो एक दूसरे के लिए बने तो थे, लेकिन दुनिया वालों को उनकी मोहब्बत रास नहीं आई और उनकी मोहब्बत एक मकबरे में कैद हो गई।
बता दें कि इस्लामी संस्कृति और उर्दू साहित्य पर पुस्तकों के लेखक सैयद अब्दुल लतीफ की 19वीं सदी की कृति तारीख-ए-लाहौर (1892) में कहा गया है कि अकबर ने शक के बुनियाद पर अनारकली को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था। हालांकि, जितना विवाद और कोरा झूठ सलीम-अनारकली को लेकर चलता है।
उसके बाद तो यही समझ आता है कि आपको उन्हें पढ़ना ही होगा। हां, ये बात अलग है कि आपको सलीम-अनारकली विषय पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं, मगर आज हम आपको कुछ ऐसे तथ्यों के बारे में बताएंगे, जिस के बाद आपको सलीम-अनारकली को जानने में आसानी होगी।
आइए पहले अनारकली के बारे में जान लें
सैयद अब्दुल लतीफ की किताब तारीख-ए-लाहौर में उल्लेख मिलता है कि अनारकली का नाम नादिरा बेगम था, लेकिन उन्हें शर्फुन्निसा नाम से भी पुकारा जाता था। कहा जाता है कि वह ईरान से आई थीं यह इतनी खूबसूरती थी कि उन्हें जो भी देखता था, तो उनकी खूबसूरती का कायल हो जाता था। इसी तरह सलीम भी नादिरा के दीवाने हो गए थे और इसलिए उन्हें अनारकली नाम से पुकारा गया।
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सलीम से जुड़ें अमेजिंग फैक्ट्स
जहांगीर का जन्म 31 अगस्त 1569 को सिंध फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ था, उनको सलीम और नूरुद्दीन मुहम्मद जहांगीरके नाम से भी जाना जाता था। जहांगीर, अकबर मुगल बादशाह का बेटा था, जिसने हिंदुस्तान पर जहांगीर ने 3 नवंबर 1605 से लेकर 28 अक्टूबर 1627 तक शासन किया था। इसी दौरान सलीम को अनारकली से मोहब्बत हो गई थी।
आखिर अकबर को क्यों था एराज?
1860 में, नूर अहमद चिश्ती ने अपनी पुस्तक 'तहकीकात-ए-चिश्तिया' में अनारकली के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस पुस्तक में लेखक लिखते हैं अनारकली अकबर की पसंदीदा रखैल थी और उसका असली नाम नादिरा बेगम या शर्फ-उन-निसा था।
साथ ही, अनारकली बादशाह अकबर के हरम की सबसे खास सदस्य थीं। कहा जाता है कि अनारकली अक्सर महल में नाचा करती थीं। मगर जब बादशाह को पता चला की उनका बेटा अनारकली के दीवाने हो गए थे, जो बादशाह को बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
अकबर और सलीम के बीच दूरियां बढ़ने का कारण
अनारकली की कथा का वर्णन करने वाला विदेशी यात्री विलियम फिंच था। नादिरा नाम की एक नर्तकी को ही बाद मे अनारकली के नाम से जाना गया। कुछ लोगों के अनुसार नादिरा अकबर की खास थी, मगर सलीम और नादिरा के बीच बढ़ता प्रेम प्रसंग ही अकबर और सलीम के बीच दूरियां बढ़ाने की मुख्य वजह था। इसी कारण अकबर ने अनारकली को जिंदा चुनवा दिया था।
सुनाई सजा-ए-मौत की सजा
सलीम और अनारकली की मोहब्बत पिता शहंशाह अकबरको तनिक भी रास नहीं आई और उन्होंने अनारकली को दीवारों (जहां अब मकबरा) में चुनवाने का फरमान सुना दिया। आपको बता दें कि अनारकली पर राजकुमार सलीम के साथ अवैध प्रेम संबंध रखने का आरोप लगाया गया था और लगभग 1599 में उसे मार दिया गया था। अनारकली ने भी सलीम की जान बचाने के लिए खुशी-खुशी मौत को गले लगा लिया।
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कहां स्थित है मकबरा?
अनारकली का मकबरा मुगल काल की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है। वर्तमान समय में अनारकली का मकबरा पाकिस्तान के लाहौर में स्थित है। अनारकली उस क्षेत्र का नाम भी है जहां यह मकबरा स्थित है।
सलीम और अनारकली की अमर कहानी पर फिल्म भी बनाई गई है, नाटक भी किए गए हैं। अगर आपको कोई और जानकारी मालूम है जो हम नहीं बता पाए हैं, तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
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Image Credit- (@Wikipeida)
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