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Lok Sabha Election 2019: महिला वोटर्स बदल सकती हैं लोकसभा इलेक्शन्स की तस्वीर

महिला वोटर्स की संख्या में हुए अप्रत्याशित इजाफे से लोकसभा चुनाव 2019 में महिला वोटर्स की भूमिका इतनी अहम हो गई है कि यह बदल लोकसभा चुनावों की तस्वीर बदल सकती है। 
Editorial
Updated:- 2019-03-28, 16:16 IST

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में महिलाओं की राजनीति में भागेदारी पुरुषों की तुलना में कम रही है, साल-दर-साल महिला वोटर्स की संख्या में इजाफा इस बात का सबूत है कि आम चुनाव 2019 में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण होने जा रही है। साल 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान महिला वोटर्स की संख्या अच्छी-खासी थी, जो महिला और पुरुष वोटर्स के घटते अंतर को भी दर्शा रही थी।

  • 2019 के लोकसभा चुनावों में महिला वोटर्स की संख्या हो सकती है पुरुष वोटर्स से ज्यादा
  • हाल ही में आई किताब 'The Verdict', जिसे वरिष्ठ पत्रकार प्रणय रॉय औप इलेक्शन रिसर्चर डोराब  सोपारीवाला ने मिलकर लिखा है, में कई आंकड़े मिलते हैं, जो महिला वोटर्स की साल-दर-साल बढ़ती संख्या को दर्शाते हैं। 
  • कई रीजनल पार्टियों ने महिला वोटर्स को ध्यान में रखते हुए इस बार के लोकसभा चुनावों में महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है।

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2014 के लोकसभा चुनावों में महिला वोटर्स की ऐतिहासिक भागेदारी  

अगर आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2014 के लोक सभा इलेक्शन्स में पुरुष वोटर्स की संख्या  67.09 फीसदी थी और यह महिला वोटर्स से सिर्फ 1.79 फीसदी ज्यादा थी। इस दौरान महिला वोटर्स का प्रतिशत 65.30 फीसदी था।

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Image Courtesy: Election Commission of India

गौरतलब है कि 1967 से लेकर अब तक हुए आम चुनावों में साल 2014 में पुरुष और महिला वोटर्स के बीच सबसे कम अंतर था। अब जबकि लोकसभा चुनावों में कुछ ही दिन बाकी बचे हैं, यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि भारतीय राजनीति में महिला वोटर्स का प्रभाव किस तरह से बढ़ता जा रहा है। 

 

साल 2004 में महिला और पुरुष वोटर्स के प्रतिशत के बीच 8.36 फीसदी का अतंर था। साल 2009 में यह अंतर घटकर 4.42 फीसदी रह गया। वहीं साल 2014 में यह अंतर घटकर सबसे कम रह गया। इस ट्रेंड के हिसाब से उम्मीद की जा रही है कि लोकसभा चुनाव 2019 में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों की तुलना में ज्यादा भी हो सकती है। अगर इसकी तुलना साल 1967 के आम चुनावों से की जाए तो उस समय में महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों की तुलना में 11.25 फीसदी कम थी और यह लोकसभा चुनावों में पुरुष और महिला वोटर्स में अब तक का सबसे बड़ा अंतर था। महिला वोटर्स की संख्या में हर साल हो रहे इजाफे के आंकड़ों से साफ है कि आने वाले समय में महिलाओं का प्रभाव देश की राजनीति में और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाएगा। ऐसे में महिलाओं से जुड़े मुद्दे जैसे कि महिला सुरक्षा, महिलाओं के विकास से जुड़ी नीतियां, महिला रोजगार और क्राइम अगेंस्ट वुमन पर कड़े एक्शन भी भारतीय राजनीति में अहम हो जाएंगे। इस समय में महिलाओं को राजनीति में अपनी अहम भूमिका के बारे में सजग होना चाहिए और उन्हें अपने वोट के अधिकार का भी पूरी जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए। इलाके के विकास के लिए महिलाएं किस प्रतिनिधि को चुनती हैं, इसी से आने वाले समय में उनके इलाके का विकास और उनकी प्रगति सुनिश्चित होगी। ऐसे में महिलाओं को अपना वोट डालने से पहले पूरी तरह से अवेयर होना चाहिए।

    

  

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