पति की लंबी उम्र के लिए हमारे धर्मशास्त्रों में कई तरह के व्रत-त्योहारों का वर्णन मिलता है जैसे कि कजरी तीज और हरियाली तीज। इन त्योहारों के साथ उत्तर भारत में धूमधाम से मनाया जाने वाला व्रत 'हरितालिका तीज' व्रत भी काफी अहम है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में इस व्रत को रखने के दौरान घरों में विशेष रौनक देखने को मिलती है। हरितालिका तीज के दिन शुभ वैवाहिक जीवन के लिएभगवान शिवऔर पार्वती की आराधना की जाती है। आइए जानें इस व्रत का महत्व और इससे जुड़े विधि-विधान के बारे में-
कैसे पड़ा हरतालिका तीज का नाम?
हरतालिका तीज के दिन महिलाएं पारंपरिक परिधान में नजर आती हैं और अपनी शादीशुदा जिंदगी में खुशियां लाने के लिए व्रत रखती हैं। आइए सबसे पहले जानते हैं कि हरतालिका का अर्थ क्या है। हरत और आलिका का अर्थ है 'महिला मित्र का अपहरण'। पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि पार्वती के मित्र उन्हें जंगलों में लेकर गए थे ताकि उनके पिता उनकी इच्छा के विरुद्ध उनकी शादी भगवान विष्णु से नहीं कर सकें।
इसे जरूर पढ़ें:आमदनी बढ़ानी है तो लाफिंग बुद्धा को घर में इन जगहों पर रखें
Image Courtesy : Pinterest
बनाई जाती हैं शिव-पार्वती की मिट्टी की प्रतिमाएं
हरतालिका तीज के दिन शुभ मुहुर्त में पूजा-अर्चना संपन्न की जाती है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भी तीज मनाई जाती है, जिसे छोटी तीज या 'श्रावणी तीज' कहते हैं, जबकि भाद्रपद महीने में मनाई जाने वाली तीज को बड़ी तीज या 'हरतालिका तीज' कहा जाता है।
विधि विधान के अनुसार महिलाएं इस दिन निर्जल उपवास रखकर रात में शिव-पर्वती की मिट्टी की प्रतिमाएं बनाकर उनकी पूजा करती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
पिडुकिया का विशेष महत्व
इस पूजा में भगवान को प्रसाद के रूप में पिडुकिया' चढ़ाए जाने की परंपरा है। इस पर्व में घर की महिलाएं एक साथ मिलकर यह प्रसाद बनाती हैं। पिडुकिया बनाने में घर के बच्चे और पुरुष भी सहयोग देते हैं। पिडुकिया मैदा से बनाया जाता है, जिसमें खोया, सूजी, नारियल और बेसन अंदर डाल दिया जाता है। पूजा के बाद आस-पड़ोस के घरों में प्रसाद बांटा जाता है। इसी वजह से प्रसाद ज्यादा बनाया जाता है।
इसे जरूर पढ़ें:पति-पत्नी के बीच बढ़ती दूरियों को कम करने के लिए अपनाएं ये 10 वास्तु टिप्स
कुंवारी लड़कियां भी इच्छित वर के लिए रखती हैं व्रत
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि यह त्योहार त्रेतायुग से मनाया जा रहा है। माना जाता है कि हरतालिका तीज के दिन जो सुहागिन स्त्री अपने अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए निर्जल व्रत रहती है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक मान्यता यह भी है कि पार्वती की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने तीज पर ही दिन पार्वती को अपनी पत्नी स्वीकार किया था। इस कारण सुहागिनों के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी इच्छित वर पाने के लिए व्रत रखती हैं।
इस तरह की और जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों