आज के समय में महिला सशक्तिकरण पर काफी जोर दिया जा रहा है। महिलाओं के हक को लेकर लोग सचेत हुए हैं और अब उन्हें भी समान अवसर दिए जाने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर, महिलाओं ने भी अपने हुनर व काबिलियत का परिचय पूरे विश्व के सामने रखा है। लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें एक पत्नी अपने पति को बैट से मारते नजर आ रही है।
ऐसे में पुरुषों की सुरक्षा और डोमेस्टिक वायलेंस को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं और सोशल मीडिया पर जंग छिड़ गई है कि क्या डोमेस्टिक वायलेंस को सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया है? अगर हां, तो भारतीय संविधान में एक पुरुष की सुरक्षा को लेकर क्या प्रावधान हैं, लेकिन इस बारे में बात करने से पहले हम पूरा मामला जान लेते हैं।
In a strange case of domestic violence, a school principal in #Alwar district of #Rajasthan has move the court seeking protection from the physical and mental harassment of his wife.
— IANS (@ians_india) May 25, 2022
According to the man, his wife has been beating him black and blue leaving him weak mentally. pic.twitter.com/J1UOmRhyHw
सोशल मीडिया पर एक चौंका देने वाला वीडियो सामने आया है, जिसमें एक सरकारी स्कूल का शिक्षक अपनी पत्नी से बैट से मार खाता दिखाई दे रहा है। बता दें कि शिक्षक पिछले एक साल से इस हिंसा का शिकार है, लेकिन खुद को बचाने के लिए उस व्यक्ति ने चुप रहना चुना, लेकिन सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद व्यक्ति ने चुप्पी तोड़ अपनी पत्नी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। (मैरिटल रेप को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का फैसला आखिर सवालों के घेरे में क्यों है)
राजस्थान के अलवर जिले के एक स्कूल प्रिंसिपल ने अपनी पत्नी के द्वारा हो रहे शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज किया है। शख्स के मुताबिक उसकी पत्नी उसे पिछले एक साल से प्रताड़ित कर रही थी।
साथ ही, उसकी पत्नी उसे कभी-कभी उसके बेटे के सामने पीटती थी। बता दें कि अजीत यादव ने 9 साल पहले महिला से प्रेम विवाह किया था। अब कोर्ट की ओर से शिक्षक को सुरक्षा देने के आदेश जारी किए गए हैं।
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भारतीय संविधान के अनुसार डोमेस्टिक वायलेंस को हिंदी में 'घरेलू हिंसा' कहा जाता है। घरेलू हिंसा (वैवाहिक दुर्व्यवहार, अंतरंग साथी हिंसा, घरेलू मारपीट या पारिवारिक हिंसा आदि) से महिलाओं का संरक्षण करने के लिए भारतीय संविधान के अधिनियम 2005 के तहत एक अधिनियम बनाया गया है, जो महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए अधिनियमित किया गया है। (पत्नियां ध्यान दें! इन कारणों के चलते पति गिल्ट-फ्री होकर आप पर उठा सकता है हाथ)
यह अधिनियम भारतीय दंड संहिता के तहत बताई गई परिभाषा, कानून और सुरक्षा के प्रावधान से काफी अलग है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 धारा 3 के तहत घरेलू हिंसा का वर्णन करता है।
इस बारे में हमने एक्सपर्ट से बात की, कि क्या ये घटना घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम 2005 के तहत आएगी? इसको लेकर एक्सपर्ट वसुंधरा ठाकुर (अधिवक्ता) ने बताया कि इस घटना को कानून कैसे परिभाषित करता है।
उन्होंने कहा कि, "घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 2 (ए), एक "पीड़ित व्यक्ति" केवल एक महिला है, जो प्रतिवादी के साथ संबंध में है या रही है और किसी भी तरह की घरेलू हिंसा का शिकार बनी है और उस पर हिंसा का आरोप लगा रही है।"
इसलिए इस मामले में घरेलू हिंसा अधिनियम को आकर्षित नहीं किया जाएगा। लेकिन अगर किसी व्यक्ति को पिटाई का सामना करना पड़ा है, तो वह पुलिस के पास शिकायत दर्ज कर सकता है।
इसको लेकर एक्सपर्ट आगे कहती हैं कि ,"पत्नी के हिंसक स्वभाव के बावजूद पति यदि पत्नी के साथ ही रहना चाहता है तो यह सुनिश्चित करना बेहद मुश्किल है कि वह उसके संग सुरक्षित रह पाएगा। मगर पत्नी के हिंसक स्वभाव के आधार पर यदि पति अपनी पत्नी से अलग होना चाहता है, तो उसे तलाक मिल सकता है।"
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इसे यह बात बिल्कुल साफ है कि डोमेस्टिक वायलेंस अधिमियन पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाओं पर जोर देता है। यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Freepik)
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