कुछ दिनों पहले ही हमने मैरिटल रेप को लेकर केरल हाई कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला देखा था। जहां केरल कोर्ट ने ये कहा था कि मैरिटल रेप यकीनन कानून नहीं है, लेकिन ये तलाक का आधार माना जा सकता है क्योंकि पत्नी के शरीर पर पति का हक मानना गलत होता है। ये फैसला सराहनीय माना गया था पर हाल ही में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का एक फैसला आया है जिसमें ये कहा गया है कि मैरिटल रेप अपराध नहीं है।
इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर भी कई तरह के तर्क दिए जा रहे हैं और सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया गया। केरल हाई कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक माना जा रहा था और छत्तीसगढ़ कोर्ट के मामले में इस तरह का सवाल उठाया गया है। इस बारे में बात करने से पहले हम पूरा मामला जान लेते हैं।
छत्तीसगढ़ कोर्ट में 23 अगस्त को एक केस की सुनवाई में जस्टिस एनके चंद्रावंशी ने भारतीय कानून के बारे में बताया है कि भारतीय पीनल कोड सेक्शन 375 के मुताबिक अगर पत्नी 15 साल से ज्यादा आयु की है तो पति के द्वारा किया गया सेक्शुअल इंटरकोर्स कानूनन अपराध नहीं कहा जाता है। जिस केस पर सुनवाई हो रही थी उस मामले में महिला लीगल पत्नी थी जिसके तहत यही कानून लागू होता है।
हालांकि, कोर्ट ने चार्जेस की बात भी की है और कहा कि इस केस में सेक्शन 498A (महिलाओं के खिलाफ अपराध) और सेक्शन 377 (अप्राकृतिक अपराध, कार्नल इंटरकोर्स (जो प्रकृति के खिलाफ हो)। इसी के साथ, पति के परिवार वालों को भी सेक्शन 498A के तहत अपराधी माना गया है।
महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि उसके ससुराल वालों ने और पति ने उसे प्रताड़ित किया है और पति ने उसके साथ अप्राकृतिक सेक्स भी किया है। पत्नी की शिकायत में इस तरह के कई आरोप थे।
अब आपको मैं बता दूं कि जो भी लोग छत्तीसगढ़ कोर्ट के फैसले को बिना सोचे समझे गलत बोल रहे हैं उन्हें असल में कानून के बारे में जानकारी लेनी चाहिए। कोर्ट ने जो भी किया वो कानूनी दायरे में रहकर ही किया है। इस मामले में हमने एक्सपर्ट्स से भी बात की है।
इसे जरूर पढ़ें- मैरिटल रेप पर लिया गया केरल कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक भी है और तारीफ के काबिल भी
हमने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लॉयर्स से इस बारे में बात की और ये जानने की कोशिश की कि आखिर इस मामले में कानून क्या कहता है?
एडवोकेट अंकुर बाली-
इस मामले में हाई कोर्ट लॉयर अंकुर बाली का कहना है कि ये एक क्लियर जजमेंट है और भारतीय कानून में इसका प्रावधान नहीं है। मैरिटल रेप को अभी भी कानून के दायरे में नहीं लाया गया है, लेकिन ऐसे कई अन्य तरीके होते हैं जहां विक्टिम को रिलीफ मिल सके। जैसे विक्टिम हिंसा के आधार पर भी तलाक की अर्जी दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की सीनियर वकील कमलेश जैन का भी यही कहना है कि मैरिटल रेप के खिलाफ कोई कानून नहीं है।
आखिर मैरिटल रेप को कानूनन अपराध क्यों नहीं माना गया है इसे लेकर कई बार बहस हुई है और यही नहीं 'Protection of Women against Domestic Violence Act, 2005' जिसमें संशोधन सिर्फ इसी कारण से किया गया था कि महिलाओं को कानूनी मदद दी जा सके और किसी भी तरह की हिंसा से उन्हें बचाया जा सके उसमें भी मैरिटल रेप को घरेलू हिंसा का हिस्सा नहीं बनाया गया है। कुल मिलाकर कानूनन इसे पति का अधिकार ही मान लिया गया है।
यही कारण है कि हिंसा के आधार पर कोर्ट में केस दायर हो सकता है, लेकिन मैरिटल रेप को कानूनन अपराध नहीं माना गया है।
भारत उन गिने-चुने 36 देशों में से एक है जहां मैरिटल रेप को लेकर कानून नहीं बनाया गया है और National Family Health Survey (NFHS), 2015-16 कहता है कि 31% महिलाएं जो 15-49 साल की उम्र के बीच थीं उन्हें मानसिक, शारीरिक और यौन प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है और 5.4 प्रतिशत तो ऐसी हैं जो कहती हैं कि पति ने अपनी यौन इच्छाएं जबरदस्ती पूरी की हैं।
इसे जरूर पढ़ें- 'शादी का मतलब यह नहीं कि फिजिकल रिलेशन के लिए पत्नी हमेशा तैयार हो'
मैरिटल रेप पर कुछ समय पहले केरल हाई कोर्ट का फैसला ये था कि मैरिटल रेप को भी एक आधार बनाया जाना चाहिए जिससे तलाक लिया जा सके। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कुछ समय पहले ऐसा ही एक जजमेंट दिया था जिसमें कहा था कि शादी का अर्थ ये नहीं होता कि पति के पास पत्नी से जबरदस्ती कर सके। अलग-अलग जजमेंट्स ये बता चुके हैं कि मैरिटल रेप जैसी स्थिति में विक्टिम को थोड़ी राहत देने की कोशिश की गई है।
ये कानूनन अपराध नहीं है, लेकिन लगातार बढ़ती हिंसा और मैरिटल रेप की शिकायतों को आधार रखकर शायद अब कानूनन संशोधन का समय आ गया है। आपका इस मामले में क्या कहना है? हमें फेसबुक पेज पर अपनी राय जरूर बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।