Birthday पर क्यों काटा जाता है केक? जानिए कैसे शुरू हुआ ये ट्रेंड

Why do we cut cakes on birthdays: बर्थडे के मौके पर केक तो आपने जरूर काटा होगा, लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये प्रथा शुरू कैसे हुई? आइए जानें केक काटने की परंपरा कैसे शुरू हुई? बर्थडे पर मोमबत्ती क्यों बुझाई जाती है?
  • Nikki Rai
  • Editorial
  • Updated - 2024-12-20, 19:59 IST
Why We Cut Cake on Birthday

Why We Cut Cake on Birthday: हर किसी को अपने बर्थडे का बेसब्री से इंतजार होता है। यह दिन हर किसी के लिए बहुत खास होता है। हालांकि, बिना केक काटे बर्थडे अधूरा माना जाता है। अगर बर्थडे पार्टी में केक ना हो, तो शायद ये सब कुछ बेकार लगे, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर बर्थडे पर केक क्यों काटा जाता है? बर्थडे पर केक पर मोमबत्ती लगाकर क्यों बुझाई जाती है? आखिर केक काटने का चलन कैसे शुरू हुआ? अगर आपके मन में भी ये सभी सवाल आते हैं, तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों बर्थडे पर केक काटने का ट्रेंड शुरू हुआ?

यहां से आया ये रिवाज

This custom came from here

इतिहास की मानें, तो ये रिवाज प्राचीन ग्रीस (यूनान) से आया है। दरअसल ग्रीस के लोग अपने ग्रीक भगवान को खुश करने के लिए उनके पास केक में मोमबत्ती लेकर जाते थे। इन्हीं मोमबत्तियों के जरिए ग्रीक भगवान का चिह्न बनाया जाता था।

इसके अलावा एक और कहानी है जिसके अनुसार, रोमन संस्कृति में शादी के खास मौके पर मेहमानों को केक सर्व किया जाता है। शुरुआत में, केक को आटा, नट्स और नट्स के साथ चपटे आकार में तैयार किया जाता था। बाद में 15वीं शताब्दी के दौरान जर्मन बेकरियों ने बर्थडे के मौके पर जश्न मनाने के लिए सिंगल लेयर केक का ट्रेंड शुरू किया। इसी के बाद केक शादियों के अलावा बर्थडे पर भी काटा जाने लगा।

केक में आने लगे बदलाव

वक्त के साथ धीरे-धीरे 17वीं सदी के अंत में केक में कई तरह के बदलाव आने लगे। केक पर क्रीम की लेयर और आइसिंग शुरू हुई। इसके बाद केक के शेप्स में भी बदलाव आने लगा। 19वीं सदी में पश्चिमी यूरोपीय देशों में बर्थडे के मौके पर केक काटने का ट्रेंड पूरी तरह फैल गया। धीरे-धीरे ये ट्रेडिशन पूरी दुनिया में फैल गया।

बर्थडे पर केक की मोमबत्ती क्यों बुझाई जाती है?

Why are cake candles blown out on birthdays

बर्थडे के मौके पर केक की मोमबत्ती बुझाने के पीछे भी एक प्राचीन सिद्धांत है। एक ग्रीक सिद्धांत के अनुसार, बर्थडे पर मोमबत्ती बुझाने की परंपरा की शुरुआत देवी आर्टेमिस के जन्म पर मोमबत्ती जलाने की प्राचीन प्रथा से जुड़ी है।

स्विटजरलैंड से जुड़ी है मोमबत्ती की कहानी

एक अन्य कहानी के अनुसार, साल 1881 में स्विटजरलैंड से मोमबत्ती बुझाने की परंपरा शुरू हुई। उस दौरान मिडिल क्लास लोग अंधविश्वास का पालन करते थे। शुरुआत में उन लोगों ने उम्र के हिसाब से मोमबत्ती लगाना शुरू किया। इसके बाद मोमबत्ती को बुझाने की परंपरा की शुरू हुई।

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Image Credit: freepik

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