दिसंबर का महीना अपने साथ एक उल्लास व उमंग लेकर आता है। दिसंबर में जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, सेलिब्रेशन की तैयारी होने लगती है। सबसे पहले क्रिसमस का त्योहार और फिर नए साल का जश्न। क्रिसमस यूं तो कहने को ईसाईयों का त्योहार है, लेकिन इसे सभी धर्मों के लोग पूरे उल्लास के साथ मनाते हैं। इतना ही नहीं, यह सिर्फ इंडिया में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में क्रिसमस का जश्न मनाया जाता है। जहां एक ओर हर साल होली, दीवाली, दुर्गापूजा आदि सभी त्योहारों का कोई सुनिश्चित दिन नहीं होता, वहीं क्रिसमस अकेला ऐसा त्योहार है जो हर साल 25 दिसंबर को ही मनाया जाता है।
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क्रिसमस का त्योहार हर साल ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह को sun of god मानते हैं। इसलिए ईसाईयों के लिए इस त्योहार का एक खास महत्व है। यहां एक बात गौर करने वाली है कि ईसा मसीह का जन्म हुआ, यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं। यहां तक कि बाइबल में भी ईसा मसीह के जन्म की तारीख की कोई पुष्टि नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिरकार 25 दिसंबर को ही ईसा मसीह के जन्म की तारीख क्यों मानी गई और पूरे विश्व में लोग सिर्फ इसी दिन ही क्रिसमस क्यों मनाते हैं। अगर आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा है तो चलिए आज हम आपको इस सवाल का जवाब देते हैं-
असल तारीख नहीं है पता
जीसस के जन्म की वास्तविक तारीख के बारे में किसी को भी पता नहीं है। माना जाता है कि जीसस का जन्म 2 BCE/BC और 7 BCE/BC के बीच लगभग 4 BCE/BC में हुआ था। उस दौरान को समय को सालों के आधार पर नहीं, बल्कि BCE/BC के आधार पर देखा जाता है। ऐसे में जीसस के जन्म की वास्तविक तिथि और समय कहीं पर भी लिखी हुई नहीं है। यहां तक कि बाइबल में भी जीसस के जन्म की तारीख के बारे में नहीं बताया गया है।
इसलिए 25 दिंसबर को हैं मनाते
अब अगर आप सोच रही हैं तो जीसस के जन्म की यह तारीख कैसे निश्चित हुई तो इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है। दरअसल, एक बहुत ही प्रारंभिक ईसाई परंपरा के अनुसार, जिस दिन मैरी को बताया गया था कि उनके पास एक बहुत ही विशेष बच्चा अर्थात् यीशु होगा, वह तरीख 25 मार्च थी। 25 मार्च के 9 महीने बाद 25 दिसंबर है।
ऐसे में यीशु के जन्म के लिए 25 दिसंबर सबसे अच्छा दिन माना गया। इसके अलावा इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है।
ऐसे मनाया गया क्रिसमस
क्रिसमस को मनाने का सिलसिला काफी पुराना है। सबसे पहले क्रिसमस 336 ई. पूर्व में रोमन के पहले ईसाई रोमन सम्राट के समय में 25 दिसंबर को मनाया गया था। उस समय यह रोमन स्टेट का आॅफिशियल फेस्टिवल नहीं था। हालांकि इसके बाद भी जीसस के जन्म की तारीख को लेकर विवाद हुआ।
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लेकिन इसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर जीसस के जन्म को 25 दिसंबर को ही मनाने का ऐलान किया। जिसके बाद से हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस मनाने का सिलसिला शुरू हो गया।
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