Hindi Month Paksh: हिन्दू धर्म में तिथियों को अत्यंत महत्व दिया गया है। किसी भी शुभ कार्य को पंचांग देखे बिना नहीं किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक महीने में दो पक्ष होते हैं और हर पक्ष में 15-15 दिन मिलाकर 30 दिन की अवधि पूर्ण होती है। इन पक्षों को कृष्ण और शुक्ल पक्ष के नाम से जाना जाता है।
हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की पूर्ण गणना, इनके महत्व और इनसे जुड़े रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या होते हैं कृष्ण और शुक्ल पक्ष?
- हिन्दू धर्म ग्रंथों और ज्योतिष में चंद्रमा (कैसे चंद्रमा हुए महादेव के सिर पर आसित) की कलाओं के कम और ज्यादा होने के आंकलन को शुक्ल और कृष्ण पक्ष कहा गया है। पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि को कृष्ण पक्ष कहते हैं। यानी कि पूर्णिमा तिथि के बाद से अमावस्या तिथि आने तक के 15 दिन कृष्ण पक्ष में आते हैं।
- जब अमावस्या के बाद दोबारा नई तिथि आती है और चन्द्रमा का आकार बढ़ना शुरू हो जाता है तब शुक्ल पक्ष की शुरुआत होती है। यह शुक्ल पक्ष अगली पूर्णिमा तिथि तक चलता है। शुक्ल पक्ष में भी 15 दिन होते हैं। माना जाता है कि शुक्ल पक्ष किसी भी शुभ कार्य के लिए ज्यादा शुभ होता है।
कृष्ण और शुक्ल पक्ष की तिथियां
- कृष्ण पक्ष के 15 दिन: पूर्णिमा, प्रतिपदा, प्रतिपदा, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी।
- शुक्ल पक्ष के 15 दिन: अमावस्या, प्रतिपदा, प्रतिपदा, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी।
कैसे हुई कृष्ण और शुक्ल पक्ष की शुरुआत
- पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की 27 बतियां थीं। ये बेटियां दरअसल 27 नक्षत्र थीं। दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 बेटियों की शादी चंद्रमा से करा दी। चंद्रमा को रोहिणी से अत्यंत प्रेम था जिसके चलते वो दक्ष की बेटियों को समान रूप से प्यार और समय नहीं दे पाते थे।
- जब दक्ष प्रजापति को इस बारे में पता चला तो उन्होंने चन्द्रमा को श्राप दिया कि वह अपना सारा तेज खो देंगे। माना जाता है कि जिस दिन से चंद्रमा का तेज क्षीण होने लगा उस दिन कृष्ण पक्ष की शुरुआत हुई।
- वहीं, जब चंद्रमा ने श्राप से बचने के लिए भगवान शिव (भगवान शिव का पाठ) की आराधना की तो उन्होंने चंद्रमा को रोग मुक्त किया और उन्हें उनका तेज लौटा दिया। जिस दिन से चन्द्रमा का तेज पुनः धीरे-धीरे लौटने लगा उस दिन से चंद्रमा के पूर्ण तेजवान होने तक कि अवधि को शुक्ल पक्ष की शुरुआत माना गया।
- दरअसल, दक्ष प्रजापति के श्राप को टाला नहीं जा सकता था इसी कारण से महादेव ने चंद्रमा की इस दशा को दो पक्षों में और 15-15 दिन की अवधि में विभाजित कर दिया।
तो ये थी हिंदी महीने में दो पक्ष होने के पीछे का महत्व, रहस्य और कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Shutterstock, Pinterest
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