फिल्म 'हम आपके हैं कौन' का वो फेमस गाना 'जूते दो पैसे लो' तो आपको याद ही होगा। उसमें दिखाया गया माधुरी और सलमान का लुक तो आज तक वायरल है। पर उस गाने को भारतीय शादियों की जिस रस्म पर फिल्माया गया है, वो तो सदियों से चली आ रही है। शादियों की सबसे खुशनुमा रस्मों में से एक यही होती है। दूल्हा और दुल्हन दोनों के पक्ष के लोग इस रस्म के दौरान बहुत ही ज्यादा मस्ती करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इस रस्म का महत्व क्या है?
इसे एक अहम रस्म माना जाता है, लेकिन इसका मतलब क्या है और आखिर दूल्हे के जूतों को ही क्यों चुराया जाता है? कोई और चीज भी तो चुराई जा सकती है, लेकिन हमेशा ध्यान जूतों पर ही जाता है।
आखिर क्यों निभाई जाती है जूतों को चुराने की रस्म?
अमूमन लोगों का मानना है कि इसे विदाई के दुख को कम करने के लिए निभाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस रस्म के जरिए थोड़ा सा हंसी-मजाक चलता रहता है। हालांकि, ऐसा भी माना जाता है कि इस शादी की रस्म का महत्व दूल्हे के संयम को देखने के लिए होता है। यह देखा जाता है कि दूल्हा बिना गुस्सा हुए ससुराल पक्ष के लोगों की कितनी बातें मान सकता है।
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आखिर जूतों को ही क्यों चुराया जाता है किसी और चीज को क्यों नहीं?
मंडप में जाते समय जूतों को उतार दिया जाता है और इसलिए इन्हें चुराना आसान है। उसके अलावा, दूल्हे की कोई और चीज जैसे पगड़ी, तलवार, साफा आदि चुराना अशोभनीय माना जा सकता है। ये चीजें शौर्य का प्रतीक मानी जाती हैं और इसलिए जूतों को चुराना ही सही है।
हालांकि, साइंस की मदद से भी इसका एक कारण ढूंढा जा सकता है। एक साइकोलॉजिकल रिसर्च का मानना है कि जूते आपकी पर्सनैलिटी के बारे में बताते हैं।
इस स्टडी में 208 पार्टिसिपेंट्स पर टेस्ट किया गया था जिसमें जूतों की फोटो देखकर लोगों को उनके मालिकों के बारे में बताना था। उनके डिस्क्रिप्शन से मालिकों की पर्सनैलिटी के बारे में काफी कुछ पता चला। जैसे कंफर्टेबल शूज का मतलब एडजस्ट करने लायक पर्सनैलिटी है। इसे भी एक कारण समझा जा सकता है कि जूतों को ही क्यों चुराया जाता है।
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लोककथाओं में शादी के दौरान जूता चुराई की रस्म का विवरण
यह कहानी मैंने भी अपनी एक वृद्ध रिश्तेदार से सुनी है और इसके बारे में थोड़ा सा रिसर्च करने पर यह कहानी Quora के एक पोस्ट पर भी मिल गई। हालांकि, इसमें सच्चाई है या नहीं इसके बारे में तो नहीं बताया जा सकता। ये सिर्फ एक लोककथा या मिथक है।
ऐसा माना जाता है कि पुराने जमाने में ऊंची जाति के लोग शादी करने जाते थे और अगर वहां कोई ज्यादा सुंदर लड़की दिख जाती थी, तो उससे शादी कर लेते थे। ऐसे में लड़कियों के घूंघट में रहने की प्रथा शुरू हुई और लड़कों के जूते चुराने की रस्म शुरू हुई जिससे दूल्हा शादी के मंडप से भाग ना सके। अब यकीनन इस कारण को सुनकर आपको भी हंसी आई होगी।
जूतों को चुराने की रस्म में पैसे का लेन-देन भी होता है जिसके कारण यह और भी ज्यादा इंटरेस्टिंग मान ली जाती है। वैसे आपके हिसाब से जूतों को चुराने का कौन सा कारण सही माना जा सकता है? अपने जवाब हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आप भी ऐसी ही किसी अन्य रस्म के बारे में जानना चाहती हैं, तो उसके बारे में हमें लिख भेजिए।
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