हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का बहुत महत्व माना जाता है। दस दिवसीय गणेश चतुर्थी के पर्व के दौरान गणपति बप्पा को घर में लाया जाता है और विधिवत उनकी स्थापना की जताई है। गणेश जी को इन दस दिनों में उनके प्रिय व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। साथ ही, गणेश जी के पप्रिय पुष्प भी उन्हें अर्पित किये जाते हैं। इस साल गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 19 सितंबर, दिन मंगलवार से हो रहा है।
गणेश चतुर्थी से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं जो बहुत रोचक मानी जाती हैं। यह कथाएं न सिर्फ रहस्य बल्कि भक्ति भाव और भयंकर श्रापों से भी जुड़ी हैं। गणेश चतुर्थी से जुड़ा ऐसा ही एक रहस्य यह भी है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए, नहीं तो श्री गणेश रुष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति को दोष लगता है। भक्त की पूजा वोफल हो जाती है। ज्योतिर्विद पं रमेश भोजराज द्विवेदी जीसे आइये जानते हैं इस बारे में।
गणेश चतुर्थी में चंद्रमा के दर्शन की मनाही
ऐसी मान्यता है कि एक बार चंद्र देव जिन्हें अपनी खूबसूरती और तेज पर गुमान था, उन्होंने एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी करके भगवान गणेश का मजाक उड़ाने की कोशिश की। चंद्रमा ने भगवान गणेश के रूप को देखकर उनके रूप पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गणेश जी का बड़ा पेट और हाथी का सिर है और वो दिखने में कितने भिन्न लग रहे हैं। ऐसा कहते हुए चंद्रमा ने गणपति का उपहास बनाया और इससे गणेश जी रुष्ट हो गए। भगवान गणेश ने चंद्रमा को उनकी गलती का एहसास कराने के लिए विनम्रता पूर्वक दंड देने का निर्णय किया।
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गणपति ने दिया चंद्रमा को अभिशाप
भगवान गणेश ने चंद्रमा को यह कहते हुए अभिशाप दिया कि कोई भी गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा की पूजा नहीं करेगा और साथ ही चंद्र दर्शन भी नहीं करेगा। गणपति ने अभिशाप देते हुए यह कहा कि जो भी चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा उसे जीवन में कलंक का सामना करना पड़ेगा और उस पर कई झूठे आक्षेप लग सकते हैं। यदि कोई भी इस दिन चंद्रमा को देखेगा तो उसे व्यर्थ ही परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। गणपति का यह अभिशाप सुनने के बाद चंद्रमा टूट गए और उन्हें अपने अहंकार का एहसास हो गया। गणपति के अभिशाप से चंद्रमा का घमंड चूर हो गया।
चंद्रमा ने गणपति से मांगी माफ़ी
गणपति के अभिशाप से चंद्रमा दुखी हो गए और शिव जी की तपस्या करने लगे। चन्द्रमा की तपस्या से शिव जी प्रसन्न हुए और उन्होंने गणपति से चंद्रमा को श्राप मुक्त करने का आग्रह किया। अपने पिता के आग्रह को गणपति टाल न सके और उन्होंने चंद्रमा को श्राप मुक्त करने का उपाय बताया। गणपति ने चन्द्रमा से कहा कि चूंकि उन्होंने भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी के दिन गणपति का अपमान किया था इसलिए उस दिन को छोड़कर बाकी दिनों में चंद्र दर्शन शुभ माना जाएगा। ऐसी मान्यता है कि यदि आप भूलवश इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लें तो गणेश जी के किसी मंत्र का जाप करें और दान पुण्य करें।
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इस खास वजह से ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन करने से भगवान गणपति नाराज हो जाते हैं और ऐसा करने से आपको जीवन में बड़े नुकसानों का सामना भी करना पड़ सकता है।
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