साधु-संत क्यों करते हैं हठयोग, जानें पौराणिक महत्व

साधु-संत हठयोग का अभ्यास कई कारणों से करते हैं। ये अभ्यास उनके आध्यात्मिक विकास और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। आइए इन कारणों को विस्तार से इस लेख में जानते हैं। 
why sadhu and saints practice hatha yoga

आपने कुंभ और महाकुंभ में साधु-संतों को अद्भुत मुद्राओं में योग करते हुए जरूर देखा होगा। ये साधु-संत हठयोग का अभ्यास कई कारणों से करते हैं। यह एक गहन आध्यात्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो उन्हें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकसित करने में मदद करता है। कुंभ मेले में आपने देखा होगा कि कुछ साधु जलते हुए अंगारों पर ध्यान लगाते हैं, कुछ कांटों के बिस्तर पर लेटकर तप करते हैं, और कुछ दिन-रात खड़े रहते हैं। सनातन परंपरा में साधुओं द्वारा किए जाने वाले इस कठिन तप को हठयोग के नाम से जाना जाता है। अब ऐसे में साधु-संत हठयोग क्यों करते हैं। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

साधु-संत क्यों हठयोग करते हैं?

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साधु-संत अपनी साधना को सफल बनाने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के हठों का सहारा लेते हैं। ये हठ योग के विभिन्न रूप हैं जो शारीरिक और मानसिक अनुशासन पर केंद्रित होते हैं। आपको बता दें, महात्मा पंचधूनी की साधना, खड़े रहकर तपस्या करना, बिना अन्न-जल ग्रहण किए तपस्या करना - ये सभी हठयोग के विभिन्न रूप हैं। हठयोग में साधक अपने मन को बलपूर्वक एकाग्र करने का प्रयास करता है। यह एकाग्रता किसी भी साधना के लिए आधार होती है। इस एकाग्रता के साथ शुद्ध और निष्काम भावना का होना भी आवश्यक है। यानी साधक को किसी फल की अपेक्षा किए बिना, सिर्फ साधना के लिए ही साधना करनी चाहिए। हठयोग में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के परिश्रम का समावेश होता है। आसन, प्राणायाम, मुद्राएं - ये सभी शारीरिक परिश्रम के उदाहरण हैं। वहीं, ध्यान और ध्यान केंद्रित करना मानसिक परिश्रम के उदाहरण हैं।

हठयोग कितने प्रकार का होता है?

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साधु-संत अपने इंद्रियों और मन पर नियंत्रण पाने के लिए विभिन्न प्रकार के हठयोग करते हैं। इस प्रक्रिया में वे अक्सर अपने शरीर को कष्ट देते हैं। वे बलपूर्वक अपने मन को अपने आराध्य की कृपा या किसी सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। सनातन परंपरा में हठ के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है। राजहठ (राजा का हठ), बालहठ (बच्चे का हठ), स्त्रीहठ (स्त्री का हठ), और योगहठ (साधुओं का हठ) आदि।

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Image Credit- HerZindagi

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