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why purnakumbha mela held every 12 years know everything in detail

Maha Kumbh 2025: हर 12 साल बाद ही क्यों होता पूर्णकुंभ का आयोजन, यहां पढ़ें विस्तार से

महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो चुकी है और इसका अंतिम स्नान फरवरी महीने में महाशिवरात्रि के दिन होगा। अब ऐसे में सवाल है कि पूर्णकुंभ 12 साल में ही क्यों आयोजित होता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
Editorial
Updated:- 2025-01-29, 16:19 IST

कुंभ मेला भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पर्व हजारों वर्षों से मनाया जा रहा है और इसका इतिहास बहुत पुराना है। कुंभ मेला विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के रूप में विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ हर बारह साल में विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। आपको बता दें, प्राचीन काल से ही कुंभ मेला का महत्व रहा है। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने प्रयागराज के महाकुंभ का वर्णन किया है, जो उस समय के धार्मिक आयोजन और सम्राट की दानशीलता को प्रदर्शित करता है। इससे पता चलता है कि कुंभ मेला कितना प्राचीन और महत्वपूर्ण है। वहीं कुंभ मेला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय समाज के सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता की दर्शाता है। यह महाकुंभ 144 साल बाद लगा है और पूर्णकुंभ 12 साल बाद लगता है। अब ऐसे में पूर्णकुंभ 12 साल में ही क्यों लगता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

पूर्णकुंभ 12 साल में ही क्यों लगता है?

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कुंभ मेला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो हर 12 वर्ष में एक बार मनाया जाता है। यह त्योहार चार स्थानों पर आयोजित किया जाता है। प्रयागराज में 12 साल के बाद। वहीं हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इन स्थानों पर अर्धकुंभ मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जो हर छह वर्ष में एक बार होते हैं। आपको बता दें, पूर्ण कुंभ का ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है। यह तब होता है जब बृहस्पति मेष राशि में, सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं। यह खगोलीय स्थिति हर बारह साल में एक बार होती है, और इसे महाकुंभ महापर्व कहा जाता है। हर वर्ष माघ महीने में सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं। लेकिन, बृहस्पति का मेष राशि में आना हर बारह साल में एक बार होता है। यही कारण है कि महाकुंभ का आयोजन भी बारह साल में एक बार होता है। इसके अलावा, कुछ विशेष योग अन्य ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर भी बनते हैं।
ऐसा माना जाता है कि जो विशेष ग्रहों का संयोग हर्षकालीन महाकुंभ में था, वही संयोग इस वर्ष 2025 के प्रयाग महाकुंभ में भी बना है। कुंभ मेला हर तीन साल के अंतराल पर नासिक-त्र्यंबकेश्वर, हरिद्वार, उज्जैन और प्रयाग में होता है।
महाकुंभ मेला हर बारह साल के अंतराल पर प्रयाग में होता है।

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अब अगला महाकुंभ का आयोजन कब होगा?

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ज्योतिष गणनाओं के अनुसार, अगला महाकुंभ 2169 में प्रयागराज में होगा। यह 144 वर्षों के बाद आने वाला एक दुर्लभ संयोग होगा।

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