आखिर क्यों जोशीमठ में रहने वाले लोगों को छोड़ना पड़ रहा है अपना घर?

उत्तराखंड के जोशीमठ में हर पल बिगड़ रहे हैं हालात, लोगों को छोड़ना पड़ा रहा अपना घर।

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उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हर पल बिगड़ रहे हैं। पहाड़ों के बीच से सैकड़ों लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा है। 700 से ज्यादा घरों पर दरार आ गई है। इसके अलावा इस इलाके से 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुचा दिया गया है। ऐसे में आज हम आपको जोशीमठ से जुड़ी बातें बताने वाले हैं। चलिए जाने जोशीमठ के बारें में विस्तार से।

स्थानीय लोगों को छोड़ना पड़ रहा अपना घर

स्थानीय लोगों के लिए यह काफी मुश्किल भड़ी घरी है। स्थानीय लोगों को अपना घर बार सब कुछ छोड़कर जाना पड़ रहा है। कई स्थानीय लोगों के पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है। ऐसे में प्रशासन ने पीड़ितों को मुआवजा देने का ऐलान किया भी कर दिया है। हालांकि इसके बाद भी स्थानीय लोगों खुश नजर नहीं आ रहे हैं। घर छोड़कर जाना सभी के लिए आसान नहीं होता।

बारिश बन सकती है प्रशासनके लिए आफत

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उत्तराखंड के जोशीमठ में अगर बारिश होती है तो लोगों को काफी दिक्कत आ सकती हैं। प्रशासन खतरनाक इमारतों को गिराने की तैयारी कर रही है। वहीं कहा जा रहा है कि आज से अगले तीन दिनों तक बारिश का साया है ऐसे में यह प्रशासन के लिए बड़ी आफत बन सकती हैं। ऐसे में देखना यह खास होगा कि प्रशासन आगे क्या करती हैं।

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डेंजर जोन में है उत्ताराखंड

बता दें कि पहले यहां खेती शुरू हुई फिर धीरे-धीरे आबादी बसनी शुरू हुई। वहीं जोशीमठ में लगातार बढ़ती आबादी क्षेत्रों पर अतिरिक्त दबाव बना रही है। पहाड़ों में यूं भी बीते कुछ दशकों में तमाम तरह के बड़े निर्माण हुए हैं। सड़क निर्माण में चट्टानों की कटिंग, बड़ी-बड़ी बांध परियोजनाओं के निर्माण में मिट्टी का कटाव एक बदलाव ही है, जो नए भूस्खलन क्षेत्र पैदा कर सकता है। उत्तराखंड में इस वक्त 84 भूस्खलन के डेंजर जोन चिह्नित किए जा चुके हैं।

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जोशीमठ मोरेनपर बसा शहर है

जोशीमठ के बारे में कहा जाता है कि यह शहर मोरेन पर बसा है बता दें कि मोरेन ग्लेशियर के मलबे के जमाव से बनते हैं। 1000 साल पहले भी यहां लैंडस्लाइड की वजह से तत्कालीन जोशीमठ गांव या कस्बा तबाह हो चुका है। इसके अलावा 1976 में जोशीमठ में भूस्खलन की कई घटनाएं हुई थीं। फरवरी 2021 में आई ऋषि गंगा आपदा के बाद जोशीमठ और आसपास के इलाकों में जमीन धंसने की रफ्तार तेज हो गई है. जिसकी वजह से आज जोशीमठ में हर तरफ दरार दिख रही हैं।

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