herzindagi
shivratri  date and time

शिव-पार्वती विवाह के अलावा इन दो बड़ी वजहों से मनाई जाती है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का पर्व इस साल 8 मार्च को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को समर्पित यह पर्व क्यों मनाया जाता है? <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-02-22, 12:55 IST

हिंदू पंचांग के अनुसार 12 महीने में 12 शिवरात्रि होती है, लेकिन उन सभी में महाशिवरात्रि सबसे खास होती है। सभी शिव भक्त और हिंदुओं के लिए महाशिवरात्रि का यह विशेष पर्व बहुत महत्वपूर्ण है। महाशिवरात्रि के दिन लाखों शिवभक्त भगवान शिव के मंदिरों में जाकर अभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए बहुत से लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं। महाशिवरात्रि को लेकर यह मान्यता है कि जो भी अविवाहित कन्या अच्छे वर और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, भगवान शिव की कृपा से उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। इसके अलावा बहुत सी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और तरक्की के लिए भी महाशिवरात्रि का व्रत रखती है। ये तो रही पूजा और व्रत की बात, लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?

महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व, तीन कारणों से मनाया जाता है। इन तीन कारणों में भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आपको उन दो और कारणों के बारे में पता है? जिस वजह से महाशिवरात्रि का यह पर्व मनाया जाता है।

शिव-पार्वती विवाह

Mahashivratri

माता पार्वती के कठोर तप के बाद जब भगवान शिव विवाह के लिए राजी हुए थे, तब भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहके दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पड़ी थी। इस तिथि को हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के महामिलन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि के दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए इस दिन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया। कथाओं में वर्णन है कि इस दिन जो कोई भी सच्चे मन और भाव से शिवलिंग पर जल अर्पित करता है और अपनी सामर्थ्य एवं शक्ति के अनुसार व्रत और पूजन करता है, भगवान शिव उसकी हर एक मनोकामना को पूरी करते हैं।

इसे भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर शिव जी को चढ़ाएं ये स्वादिष्ट खीर, नोट करें आसान रेसिपी

भगवान शिव का शिवलिंग स्वरूप की उत्पत्ति

maha shivaratri story

पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव अपने शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे। इस दिन से ही पहली बार भगवान विष्णु और ब्रह्मदेव उनकी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की थी। यह भी एक कारण है महाशिवरात्रि मनाने का और इस दिन पूरे विधि विधान से शिवलिंग की पूजा करने का।

समुद्र मंथन के बाद विषपान किया था

why is shivratri celebrated

जब असुर और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब पहली बार में विष यानी जहर का कटोरा निकला था। उस विष को पीने का सामर्थ्य किसी में भी नहीं था, इसलिए पूरी सृष्टी को बचाने के लिए भगवान शिव ने विष का पान किया था। जिस दिन भगवान शिव ने विष पान किया था, उस दिन महाशिवरात्रियानी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पड़ी थी। विष पान के बाद शिव जी का गला नीला पड़ गया था, जिसके बाद उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया। 

इसे भी पढ़ें: Mahashivratri 2024 Vrat Katha: खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए महाशिवरात्रि के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

 

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit: Freepik, herzindagi, wikipedia

 

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।