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Mahashivratri Vrat Katha 2024: खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए महाशिवरात्रि के दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा

Mahashivratri Vrat Katha or Kahani 2024: हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। साथ ही, शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है।&nbsp;&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-03-07, 18:26 IST

Mahashivratri Ki Katha: हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। साथ ही, शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, फाल्गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का पर्व शिव-पार्वती के विवाह के उपलक्ष में मनाया जाता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कैसे हुआ था भगवान शिव और पार्वती माता का विवाह। 

महाशिवरात्रि की कथा (Mahashivratri Vrat Katha or Kahani 2024)

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प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं माता सती को भगवान शिव को बहुत पसंद करती थीं और उन्हें पति रूप में पाना चाहती थीं। माता सती ने जब अपने पिता दक्ष को इस बारे में बताया कि वह भगवान शिव से प्रेम करती हैं और उनसे विवाह करना चाहती हैं तब दक्ष ने शिव जी का अपमान करते हुए विवाह के लिए मना कर दिया।

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इसके बाद माता सती ने अपने पिता के विरुद्ध जाकर भगवान शिव से विवाह कर लिया। इस बात से प्रजापति दक्ष बहुत नाराज हुए और उन्होंने अपनी पुत्री सती का त्याग कर दिया। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक महायज्ञ का आयोजन किया लेकिन उस यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया था। 

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हालांकि माता सती ने भगवान शिव से जिद की और बिना उनकी आज्ञा लिए यज्ञ में पहुंच गई, जहां दक्ष ने शिव जी के बारे में अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। अपने पति के बारे में ऐसे शब्द सुनकर माता सती ने क्रोध में आकर अपने शरीर का त्याग कर दिया। इसके बाद अगले जन्म में माता सती ने हिमालय राज की पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया। 

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हालांकि भगवान शिव ने उस जन्म में माता पार्वती से विवाह के लिए मना कर दिया था क्योंकि वह मानवीय शरीर से बंधी थीं। ऐसे में माता पार्वती ने घोर ताप किया। माता पार्वती ने 12000 वर्षों तक अन्न-जल का त्याग कर घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। 

जिस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था उस दिन को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा। महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव अपनी बारात लेकर माता पार्वती के घर पहुंचे थे और चन्द्रभाल रूप में उन्होंने माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न किया था। इस दिन यह व्रत कथा सुनने से विवाह में आने वाली बाधा दूर होती है। 

 

अगर आप भी महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं तो इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से इस पर्व की व्रत कथा जान सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।  

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FAQ
शिवरात्रि के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?
व्रत में मांस, मंदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। महाशिवरात्रि व्रत में दिन में सोएं नहीं।
शिवरात्रि के दिन क्या उपाय करना चाहिए?
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले स्नान करें और पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हुए उन्हें गेंदे के फूलों की माला चढ़ाएं। फिर ॐ गौरी शंकराय नमः मंत्र का जाप करें।
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