मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर में गाड़ियों के मालिकों को एडवाइजरी जारी हुई है। इसमें कहा गया है कि गाड़ियों के फ्यूल टैंक को ऊपर तक न भरा जाए। यह सर्कुलर 6 मार्च को जारी हुआ था। भारतीय पेट्रोलियम डीलर असोसिएशन की प्रेजेंटेशन के बाद ही इस बारे में संज्ञान लिया गया था। यह एडवाइजरी टू-व्हीलर और फोर-व्हीलर दोनों ही गाड़ियों के लिए लागू होती है।
हमने यह तो जान लिया कि फ्यूल टैंक को ऊपर तक नहीं भरना चाहिए, लेकिन ऐसा क्यों? हम उसके बारे में भी बात कर लेते हैं कि इस से क्यों करना चाहिए।
क्यों ऊपर तक नहीं भरना चाहिए पेट्रोल?
सर्कुलर में इस बात का जिक्र किया गया था कि कई गाड़ियों की फ्यूल कैपेसिटी 15-20% ज्यादा मेंशन की जाती है। दरअसल, गाड़ी बेचने वाली कंपनियों द्वारा जितनी फ्यूल कैपेसिटी बताई जाती है, फ्यूल टैंक हमेशा उससे छोटा ही होता है।
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पेट्रोल वॉल्यूम के लिए नहीं बचती जगह
इसके अलावा, पेट्रोल एक वोलेटाइल ऑर्गेनिक कम्पाउंड होता है। ज्यादा गर्म होने पर इसकी वॉल्यूम थोड़ी बढ़ती ही है। अगर ऐसे में पेट्रोल के लीक होने का खतरा हमेशा बना रहेगा। इससे ना सिर्फ आपका नुकसान होगा, बल्कि फ्यूल टैंक के पास आने वाली छोटी सी चिंगारी भी जानलेवा साबित हो सकती है।
वॉल्यूम एक्सपैन्शन के कारण फ्यूल टैंक में प्रेशर भी ज्यादा पड़ सकता है। अगर गाड़ी किसी ऐसी लोकेशन पर पार्क है जहां ढलान है, तो गाड़ी से फ्यूल और तेजी से लीक हो सकता है। (इन गलतियों से कार होती है डैमेज)
टैंक में भाप के लिए जगह नहीं बचेगी
यह एक और खतरनाक चीज है। दरअसल, गाड़ी के फ्यूल टैंक में हमेशा भाप की जगह होनी चाहिए। इसे नॉर्मल लॉजिक समझिए कि फ्यूल जलता है तभी गाड़ी चलती है। फ्यूल टैंक में मौजूद फ्यूल का तापमान काफी गर्म हो जाता है। ऐसे में भाप निकलती है। अगर फ्यूल टैंक में भाप के लिए जगह ही नहीं होगी, तो इंजन की परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ेगा। इससे ना सिर्फ आपकी गाड़ी की परफॉर्मेंस कम होती है, बल्कि जरूरत से ज्यादा हाइड्रोकार्बन पॉल्यूशन भी होता है।
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कार्बन फिल्टर हो जाएगा डैमेज
इसका कारण भी साइंटिफिक ही है और ऊपर दिए गए पॉइंट से कनेक्टेड है। दरअसल, गाड़ियों में वेपर कलेक्शन सिस्टम होता है। जब फ्यूल बर्न होता है तब इस सिस्टम के जरिए ही धुंआ टेलपाइप से होता हुआ बाहर निकलता है। कार्बन फिल्टर का काम होता है इस वेपर को फ्यूल टैंक से निकालकर बाहर की ओर ढकेलना। अगर फ्यूल टैंक में भाप बनने की जगह ही नहीं होगी, तो भाप के साथ-साथ कार्बन फिल्टर में पेट्रोल लीक होने का खतरा भी बना रहेगा। ऐसे में कार्बन फिल्टर डैमेज हो सकता है। आपकी गाड़ी की परफॉर्मेंस बनी रहे उसके लिए कार्बन फिल्टर का सही होना भी जरूरी है। इससे आपकी गाड़ी से आवाज आनी भी शुरू हो जाएगी। (पॉल्यूशन से बचने के तरीके)
गाड़ी का पेंट भी हो सकता है खराब
ये डायरेक्ट नहीं बल्कि इनडायरेक्ट नुकसान है। अगर फ्यूल टैंक से पेट्रोल या डीजल लीक हो रहा है, तो ये बाहर की ओर बहेगा। कार के पेंट के लिए बहता हुआ फ्यूल अच्छा नहीं होता है। अगर आपकी आदत है हमेशा फुल टैंक करवाने की, तो हो सकता है कि आपकी गाड़ी के पेंट में भी दिक्कत आई हो।
अब अगर आप पेट्रोल पंप पर फुल टैंक करवाने जाएं और फ्यूल पूरा ना भर पाए, तो समझ जाइएगा कि आपकी गाड़ी की फ्यूल कैपेसिटी भी कम है। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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