भगवान श्रीराम को क्यों कहा जाता है सूर्यवंशी?

भगवान श्रीहरि विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्रीराम हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार प्रभु श्रीराम से जुड़ी की रोचक घटनाएं हैं। 

Why is Lord shri ram called suryavanshi

(Why is lord shri ram called suryavanshi) हिंदू धर्म में पूजनीय भगवान श्रीराम की कई ऐसी पौराणिक कथाएं शामिल हैं, जिन्हें लोग आज भी उदाहरण के तौर पर विख्यात है। धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख किया गया है, कि प्रभु श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार कहे जाते हैं। बता दें, भगवान श्रीराम को सूर्यवंशी कहा जाता है, लेकिन भगवान श्रीराम को सूर्यवंशी क्यों कहा जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते है।

भगवान श्रीराम को क्यों कहते हैं सूर्यवंशी? (Why is Lord Shri Ram called Suryavanshi?)

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भगवान श्रीराम मानव रूप में पूजे जाने वाले सबसे पुराने देवता में से एक हैं। इनका जन्म त्रेता युग में हुआ था। इसके साथ ही प्रभु श्री राम इक्ष्वाकु वंश में जन्म लिए थे। बता दें, इक्ष्वाकु की स्थापना सूर्य (सूर्यदेव मंत्र) के पुत्र राजा इक्ष्वाकु ने की थी। इसी कारण भगवान श्रीराम का जुड़ाव सूर्यवंशी से है और इसलिए उन्हें सूर्यवंशी कहा जाता है।

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भगवान श्री हरि विष्णु का 394 वां नाम राम है। वहीं सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) के कुल 1000 नामों का उल्लेख किया गया है। बता दें, भगवान राम का नाम गुरु वशिष्ठ जी ने ही रखा था। गुरु वशिष्ठ के अनुसार राम शब्द दो बीजाणुओं से उत्पन्न हुआ है। पहला अग्नि बीज और अमृत बीज है। प्रभु श्री राम का नाम मन, शरीर और आत्मा को शक्ति प्रदान करता है।

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पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि एक बार सनकादिक मुनि भगवान श्रीहरि के दर्शन करने के लिए बैकुंठ जा रहे थे। वह वहां पहुंचे तो दो द्वारपाल जय और विजय द्वार पर पहरा दे रहे थे। जब सनकादिक मुनि द्वार के पास से गुजर रहे थे। तब जय और विजय ने उनका उपहास करते हुए उन्हें रोक लिया। जिसके बाद मुनि क्रोधित हो गए और उन्होंने दोनों को श्राप देते हुए कहा कि तुम दोनों तीन जन्मों तक राक्षस कुल में ही जन्म लोगे।

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इसके बाद उन दोनों ने मुनि से माफी मांगी। पश्चात मुनि ने कहा कि तुम दोनों का उद्धार भगवान विष्णु द्वारा अंत होकर ही होगा। इसके बाद तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसके बाद ही भगवान विष्णु राम अवतार लेकर जय और विजय को रावण और कुंभकरण के अवतार में वध करने के लिए धरती लोक पर आए थे, ताकि जय और विजय को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है।

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Image Credit- Freepik

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