Fight Back: आखिर क्यों बोलते हैं लेडीज फर्स्ट? फिर भी महिलाओं के साथ किया जाता है बुरा व्यवहार?

सन 1912 में टाइटैनिक के डूबने पर 'लेडीज एंड चिल्ड्रन फर्स्ट' को पहले निकालने का निर्देश दिया गया था, जो महिलाओं की जरूरतों और इच्छाओं को पहले ध्यान में रखने सोच को मजबूत करता है।

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'लेडीज फर्स्ट' का मतलब है कि किसी महिला को पहले जगह दी जाए। आम तौर पर, किसी रिश्ते में पुरुष को पहले कदम उठाने की उम्मीद की जाती है। उदाहरण के लिए, पार्टियों में पुरुष आगे बढ़कर दरवाजा खोलता है, कुर्सी खिसकाता है, और यहां तक की कतार में खड़े लोगों के बीच पहले महिलाओं को आगे आने का न्योता देता है। हालांकि, कुछ लोग 'लेडीज फर्स्ट' व्यंग्य के तौर पर भी बोलते हैं, जिससे यह एक मजाक या ताना बन जाता है। इससे महिलाओं के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है, और उनके साथ भेदभाव जैसा रवैया अपनाया जाता है।

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क्यों बोलते हैं लेडीज फर्स्ट?

'लेडीज फर्स्ट' एक ट्रेडिशनल ग्रीटिंग्स भी होता है, जो समाज में महिलाओं को सम्मान और प्राथमिकता देने का प्रतीक है। इसका मतलब यह है कि महिलाओं को पुरुषों से पहले सम्मानित किया जाना चाहिए, और उनकी जरूरतों और इच्छाओं को पहले ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह अभिवादन कई संस्कृतियों में पाया जाता है, और इसका मकसद महिलाओं को समाज में उनकी सही जगह दिलाना है। यह महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर की भावना को भी दर्शाता है।

कुछ कारण हैं जिनकी वजह से 'लेडीज फर्स्ट' कहा जाता है

महिलाओं को समाज में सम्मानित करने के लिए, महिलाओं की जरूरतों और इच्छाओं को पहले ध्यान में रखने के लिए, महिलाओं को पुरुषों के बराबर दर्जा देने के लिए और महिलाओं के प्रति सम्मान और आदर की भावना को दर्शाने के लिए।

'लेडीज फर्स्ट' फ्रेज का क्या है इतिहास

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नाजुकता का ख्याल रखना (Fragility)

यह फ्रेज इस धारणा से शुरू हुआ हो सकता है कि महिलाएं नाजुक होती हैं और उन्हें खास किस्म की हिफाजत की जरूरत होती है। इस अप्रोच के हिसाब से महिलाओं को खतरा महसूस होने से पहले सुरक्षित निकालना चाहिए। उदाहरण के लिए, 1912 में टाइटैनिक के डूबने पर 'लेडीज एंड चिल्ड्रेन फर्स्ट' को पहले निकालने का निर्देश दिया गया था, जो इस सोच को मजबूत करता है।

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तहजीब और अदब का ख्याल रखना (Politeness and Etiquette)

बहादुरी के अप्रोच से 'लेडीज फर्स्ट' फ्रेज तहजीब और सम्मान करने का प्रतीक है। प्रथम विश्व युद्ध के आस पास 1852 में एचएमएस बिरकेनहेड के ड्राइवर के एक ग्रुप ने इन्फॉर्मल तरीके से 'लेडीज एंड चिल्ड्रन फर्स्ट' प्रोटोकॉल का पालन किया था, और इस घटना के बाद यह नियम धीरे-धीरे समाज में यह एक प्रथा बन गया। टाइटैनिक की घटना के बाद यह और भी बड़े स्तर पर स्वीकार किया गया।

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आलोचना और एक ही समय में मौजूद नजरिया (Criticism and contemporary perspectives)

कुछ आलोचकों का मानना है कि 'लेडीज फर्स्ट' फ्रेज महिलाओं को कमजोर समझने की धारणा को बढ़ावा देता है। यह सोच इस पर भी जोर देता है कि यह नजरिया महिलाओं को ट्रेडिशनल रोल में सीमित करता है। वहीं, कुछ लोग इसे शिष्टाचार, सम्मान, और महिलाओं के प्रति प्रशंसा के प्रतीक के रूप में देखते हैं, जो आज भी कई समाजों में प्रासंगिक है।

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इन सबके अलावा, टाइम्स नाउ हिन्दी के मुताबिक लेडीज फर्स्ट फ्रेज जर्मनी की गुफाओं से चलन में आई थी। जब किसी जानवर के शोर को सुनकर गुफा में रहने वाले पुरुष महिलाओं को आगे कर देते थे और फिर पीछे से जानवरों पर हमला करते थे। उस वक्त पुरुष लेडीज फर्स्ट फ्रेज का इस्तेमाल करते थे।

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Image Credit- freepik

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