'अरे मुबारक हो, आपके घर लक्ष्मी आई है।', 'बहू तो घर की लक्ष्मी होती है।' 'घर की लक्ष्मी का अनादर नहीं करना चाहिए'.... यहां पर घर में पैदा हुई लड़की, घर में आई नई बहू और घर की मालकिन को लक्ष्मी माना जाता है। लक्ष्मी जी यानी धन की देवी। लड़कियों को घर की लक्ष्मी कहा तो जाता है, लेकिन अधिकतर लोग इस बात का मतलब ही नहीं जानते हैं कि आखिर क्यों लड़कियों को घर की लक्ष्मी बोला जाता है, इसका अर्थ क्या धार्मिक है या फिर सिर्फ पैसे से जुड़ा हुआ है?
अधिकतर लोग मानते हैं कि लड़कियों को माता लक्ष्मी कहने का अर्थ ये है कि उनके आने से घर में बरकत आती है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका धार्मिक महत्व भी माना जाता है और अगर असलियत की बात करें तो वो तो मान्यता से कोसों दूर है। तो चलिए आज घर की लक्ष्मी को लेकर ही बात करते हैं।
आखिर क्यों कहा जाता है लड़कियों को लक्ष्मी?
लड़कियां लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं। इसे लेकर कई धारणाएं हैं। मन में ये सवाल भी उठता है कि भला क्यों सिर्फ माता लक्ष्मी से ही लड़कियों को जोड़ा जाता है मां दुर्गा या फिर मां सरस्वती से क्यों नहीं। एक ज्ञानी सज्जन से मेरी मुलाकात हुई थी जिनका मानना था कि बेटियों को फाइनेंशियल बर्डन समझा जाता है इसलिए लक्ष्मी की मान्यता हो गई होगी। देखिए उनका कहना भी गलत नहीं था पर थोड़ी सी रिसर्च ने मुझे ये बता दिया कि वाकई सनातन धर्म में इसका एक कारण बताया जाता है।
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हिंदू धर्म में बेटियों को मां लक्ष्मी कहा जाता है क्योंकि लक्ष्मी माता पार शक्ति हैं और पूरे संसार की अच्छी एनर्जी उनके अंदर है। उन्हें ब्रह्मांड की ऊर्जा माना जाता है। जिस तरह बेटी के घर में पैदा होने से एक सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है। एक पुरानी कहावत है कि भगवान उसी घर में वास करते हैं जहां महिलाओं की इज्जत होती है और इस दैवीय महत्व के कारण ही बेटियों को लक्ष्मी कहा जाता है।
पर ये सिर्फ लड़कियों के लिए ही नहीं है। धार्मिक महत्व को देखें तो हर पुरुष को विष्णु का रूप और लड़की को प्रकृति या लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसे एक तरह से ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव भी कहा जा सकता है।
अब हमने ये तो बात कर ली कि लक्ष्मी का धार्मिक महत्व क्या है, लेकिन उस बात का क्या जिसे अधिकतर लोग सच मानते हैं?
लड़की या वित्तीय चिंता?
घर की लक्ष्मी के पैदा होने पर कितने लोग खुशियां मनाते हैं? हमारा भारत देश आज भी वो देश है जहां लड़की का पैदा होना एक तरह का फाइनेंशियल बर्डन माना जाता है। एक तरफ तो हम घर की लक्ष्मी उसे कहते हैं, लेकिन मानते तो बिल्कुल नहीं हैं।
अगर हम सच्चाई देखें तो घर की लक्ष्मी शायद सिर्फ इसलिए बोला जाता है ताकि उस परिवार को दिलासा दिया जा सके जिसके घर लड़की पैदा हुई है। घर की लक्ष्मी तो सिर्फ नाम के लिए होती है क्योंकि सच्चाई ये है कि लड़की के पैदा होने से ही उसकी शादी की चिंता लोगों को सताने लगती है।
भारत में लड़की की शादी को लेकर इतनी समस्या है कि सरकारी स्कीम्स चलाई जाती हैं। विवाह अनुदान योजना जैसी कई सारी योजनाएं हैं जहां गरीब परिवारों के लिए बेटियों की शादी के लिए सरकार की तरफ से पैसा दिया जाता है।
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कहावत छोड़िए क्या वाकई लक्ष्मी माना जाता है लड़कियों को?
लड़कियों को लक्ष्मी कहा जाता है, लेकिन असल मायने में ये सच्चाई से बिल्कुल परे है। बेटी का परिवार आज भी लड़के वालों के सामने हाथ फैलाए खड़ा रहता है। दहेज मुक्त भारत कभी नहीं हुआ और जिस तरह की सोच यहां होती है वो कभी हो भी नहीं पाएगा। घर का चिराग अभी भी लड़का ही होता है। अगर आपने 'पिंजर' फिल्म देखी है तो उसका एक बहुत ही मार्मिक गाना है.. 'बेटों को देती हैं महल अटरिया, बेटी को देती परदेस रे.. जग में जन्म क्यों लेती हैं बेटियां मइया छुड़ाती काहे देस रे....' ये गाना बहुत मार्मिक है और सच्चाई भी बताता है।
हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था कि शादी शुदा बेटी का भी परिवार में पूरा हक होता है। अब सोचिए कि 2023 में 2 जनवरी को ये फैसला सुनाना पड़ रहा है। हम कितनी भी महिला सशक्तिकरण की बात कर लें, लेकिन अगर आज की तारीख में इस तरह के फैसले सुनाने की जरूरत पड़ रही है तो ये समझ आता है कि हम कानूनन भी लड़की को घर की लक्ष्मी नहीं मानते हैं।
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