अगर आप अपने आस-पास की महिलाओं के कान को नोटिस करेंगे, तो पाएंगे कि लगभग सभी का कान छिदा हुआ है। आजकल कान छिदवाना बेशक फैशन हो लेकिन ऐसा करने के पीछे के कुछ कारण है। इस आर्टिकल में हम आपको इसी बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
क्या होता है कर्णवेध संस्कार
कर्णवेध संस्कृत के शब्दों से बना है। कर्ण का अर्थ है कान और वेद का अर्थ है छेदना। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कार का हिस्सा है। कहा जाता है कि इन 16 संस्कारों को किसी व्यक्ति को अपने जीवन और मृत्यु के बीच में ही करना होता है।
हिंदू धर्म में कान छिदवाने का महत्व
हिंदू धर्म में कान छिदवाने के बहुत सारे लाभ बताए गए हैं। कान छिदवाने की प्रथा प्राचीन वैदिक युग में शुरू हुई थी। दरअसल हमारे कानों के बीच में बिंदु करने से हमारे शरीर विभिन्न बीमारियों से बचा रहता है। पश्चिमी चिकित्सा के जनक हिप्पोक्रेट्स ने भी 470 ईसा पूर्व में महिलाओं के लिए कान छिदवाने के महत्व के बारे में लिखा था। कुछ रिपोर्ट्स में कान छिदवाने को मासिक धर्म के लिए भी लाभदायक बताया गया है।
कान छिदवाने का धार्मिक महत्व
- भारत के अलग-अलग हिस्सों में कान छिदवाने के लाभ और प्रासंगिकता से जुड़ी कहानियां प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि कर्णवेध करने से हमारी आंतरिक आंख खुलती है।
- विभिन्न ग्रंथों के मुताबिक कान छिदवाने का सही समय छठा या सांतवा महीना है। अगर इस दौरान आप कान न छिदवा पाएं तो आप एक विषम तिथि पर भी कान छिदवा सकते हैं। जैसे- 3, 7, 9 आदि।
- कान में डाले जाने वाली सोने की बाली से हम हर तरीके से संतुलित रहते हैं। यही कारण है कि पेरेंट्स बच्चों के कान में सोने की बाली डालते हैं।
- सोने के साथ-साथ चांदी से बने झुमके भी हमें ऊर्जा देते हैं। (सोना कहीं नकली तो नहीं, ऐसे करें Check)
कान छिदवाने के वैज्ञानिक फायदे
आयुर्वेद के अनुसार कान छिदवाने से हमारे प्रजनन स्वास्थ्य को बहुत फायदा पहुंचाता है। इसके साथ-साथ मस्तिष्क विकास के लिए भी कान छिदवाना बहुत अच्छा होता है। कर्णवेध संस्कार हमारे मस्तिष्क को दाएं और बाएं से जोड़ता है।
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Photo Credit: Freepik
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