जब हम ट्रेन में यात्रा करते हैं, तो हमें लगता है कि ट्रेन सीधी पटरी पर चल रही है, फिर भी हमें थोड़ा सा हिलना महसूस होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं ट्रेन के हिलने के कई कारण हो सकते हैं। ये कारण पटरी की स्थिति, ट्रेन की गति, ट्रेन के पहिए, हवा का दबाव, इंजन का कंपन, ट्रेन का भार, पटरी का प्रकार आदि हो सकते हैं। थोड़ा सा हिलना सामान्य है और यह यात्रियों के लिए सुरक्षित होता है।
पटरी की असमानता
भले ही पटरी सीधी दिखती हो, लेकिन वास्तव में इसमें हल्का सा ढलान होता है। इसके अलावा, बारिश, गर्मी, ठंड आदि के कारण पटरी में दरारें पड़ सकती हैं या पटरी थोड़ी उखड़ सकती है। इन असमानताओं के कारण ट्रेन हिल सकती है। ट्रेन की गति बढ़ने के साथ-साथ हिलना भी बढ़ जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि तेज गति से चलती हुई ट्रेन पटरी की छोटी-छोटी असमानताओं को भी महसूस करती है। ट्रेन के पहिए भी हिलने का एक कारण हो सकते हैं। अगर पहिए खराब हो गए हैं या उनमें असमानता है तो ट्रेन हिल सकती है।
हवा का दबाव
तेज हवा भी ट्रेन को हिला सकती है, खासकर अगर ट्रेन खुले मैदान से गुजर रही हो। ट्रेन का इंजन भी हल्का सा कंपन करता है, जो ट्रेन के बाकी हिस्सों को भी हिला सकता है। भारी लोड वाली ट्रेन हल्की लोड वाली ट्रेन की तुलना में अधिक हिल सकती है। अलग-अलग प्रकार की पटरियों पर ट्रेन के हिलने का तरीका भी अलग-अलग होता है। पटरी में खामियां होने से ट्रेन हिलती है। ट्रेन के वजन और संतुलन में असमानता होने से ट्रेन हिलती है। पटरी की मरम्मत के दौरान ट्रेन हिलती है।
ट्रैक की सतह और बनावट
ट्रैक की सतह पूरी तरह से समतल नहीं होती। इसमें मामूली उभार और गड्ढे हो सकते हैं, जिससे ट्रेन के पहिये ऊपर-नीचे होते रहते हैं। ट्रैक के वेल्डिंग जोड़ों पर छोटी-छोटी गड़बड़ियां भी ट्रेन के हिलने का कारण बन सकती हैं। ट्रैक के होरिजॉन्टल (सपाट) और वर्टिकल (ऊंचाई) संरेखण में छोटे-मोटे विचलन होते हैं, जिससे ट्रेन को झटके लगते हैं। ट्रैक की चौड़ाई (गेज) में छोटे-मोटे अंतर भी ट्रेन के हिलने का कारण बनते हैं।
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ट्रेन की स्पीड
जब ट्रेन तेज गति से चलती है, तो छोटी-छोटी गड़बड़ियां भी बड़े झटकों का कारण बन सकती हैं। स्पीड बढ़ने पर पहियों और ट्रैक के बीच क्विक डिस्प्लेसमेंट होता है, जिससे हिलावट बढ़ जाती है। ट्रेन के पहियों का डिज़ाइन कोनिकल होता है, जिससे ट्रैक पर उनकी स्थिति लगातार बदलती रहती है। यह बदलाव ट्रेन को स्थिर रखने के लिए जरूरी है, लेकिन इससे हल्की हिलावट होती है। साथ ही पहियों के रोलिंग और स्लीपिंग के कारण भी हल्की-फुल्की हिलावट होती है।
सस्पेंशन सिस्टम
ट्रेन के सस्पेंशन सिस्टम में स्प्रिंग्स और डैम्पर्स होते हैं, जो ट्रैक की गड़बड़ियों को अवशोषित करने का प्रयास करते हैं। इसके बावजूद, हल्की-फुल्की हिलावट होती है। ट्रेन की डिजाइन और उसकी एयरोडायनामिक विशेषताएं भी हिलावट को प्रभावित करती हैं। बारिश, गर्मी, और ठंड के कारण ट्रैक की स्थिति में परिवर्तन होते रहते हैं।
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इन सभी कारणों के समन्वय से ट्रेन सीधी पटरी पर भी हिलती है। हालांकि, इंजीनियरिंग तकनीकों और मेंटेनेंस के जरिए इन हिलावटों को कम करने की कोशिश की जाती है, लेकिन पूरी तरह से उन्हें खत्म करना संभव नहीं है।
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