आखिर क्यों मोनालिसा की पेंटिंग में नहीं हैं आइब्रो?

क्या आपने कभी नोटिस किया कि मोनालिसा की पेंटिंग में आइब्रो नहीं हैं? इसके पीछे क्या कारण है वो एक फ्रेंच इंजीनियर ने अपनी 10 साल की रिसर्च में बताया था। 

Mona lisa mystery

दुनिया की सबसे फेमस पेंटिंग की बात करें तो हर किसी के मुंह पर मोनालिसा का नाम आएगा। यह वो पेंटिंग है जिसने 14वीं सदी से लेकर अभी तक पूरी दुनिया पर राज किया है। हिस्ट्री की मानें, तो यह पेंटिंग 1503 से लेकर 1517 के बीच लियोनार्डो द विंची ने बनाई थी। मोनालिसा के चेहरे, उसके पॉश्चर, उसकी आंखों, उसकी स्माइल और बैकग्राउंड के रंगों को लेकर दुनिया भर में कई तरह की रिसर्च की जा चुकी है। यही नहीं मोनालिसा ने इतने सालों में कई अटैक्स भी झेले हैं।

मोनालिसा की गुत्थी सुलझाने के लिए ना जाने कितनी तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है। इसी कड़ी में एक फ्रेंच इंजीनियर ने अपनी अल्ट्रा डीटेल डिजिटल स्कैन तकनीक के जरिए मोनालिसा की पेंटिंग का एनालिसिस किया है। उनकी रिसर्च में सामने आया है कि क्या वाकई मोनालिसा की आइब्रो बनाई गई थी या नहीं?

क्या है मोनालिसा की मिसिंग आइब्रो का कारण?

फ्रेंच इंजीनियर पास्कल कॉट ने 10 सालों तक मोनालिसा की पेंटिंग को स्टडी किया है। उन्होंने अपनी रिसर्च को जगजाहिर किया है। बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने इसके बारे में बताया था। पास्कल की तकनीक में लाइट की अलग-अलग वेवलेंथ को मोनालिसा की पेंटिंग पर डाला गया और उसके बाद डिजिटल स्कैन किए गए। पास्कल के मुताबिक इस तरह से मोनालिसा की पेंटिंग की कई लेयर्स का एनालिसिस हो पाया। इस तरह से उन्हें यह समझ आया कि मोनालिसा की पेंटिंग की असल शक्ल में इतने सालों के रिस्टोरेशन का असर पड़ा है।

lionardo mona lisa

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16वीं सदी की यह पेंटिंग फ्लोरेंस के एक व्यापारी की पत्नी लीसा घेरार्डिनी (Lisa Gherardini) की है। पास्कल की तकनीक के जरिए उन्होंने लगभग 3000 घंटों की रिसर्च कर एक ऐसी इमेज निकाली जिससे उस समय मोनालिसा की असली शक्ल को देखा जा सके। उन्होंने 240 मेगापिक्सल स्कैन के जरिए इसे एनालाइज किया।

उन्होंने बताया कि एक समय पर मोनालिसा की दोनों आइब्रो और आईलैश थी। पर धीरे-धीरे समय के साथ यह मिटती चली गई। मोनालिसा की पेंटिंग में जिस तरह से 500 सालों से रिस्टोरेशन वर्क चल रहा है उसके कारण मोनालिसा की आइब्रो मिट गई हैं।

पास्कल के रिसर्च वर्क में मोनालिसा की स्माइल का भी एनालिसिस किया गया है। पास्कल के एक पुराने इंटरव्यू के अनुसार, लियोनार्डो द विंची ने मोनालिसा को काफी एक्सप्रेसिव स्माइल के साथ पेंट किया था।

monalisa paintings

एक थ्योरी मानती है कि मोनालिसा की पेंटिंग है अधूरी

लियोनार्डो द विंची का एक चर्चित कोट है, "Art is never finished, only abandoned." (आर्ट कभी पूरी नहीं होती, छोड़ दी जाती है)। इस कोट के आधार पर मोनालिसा की आइब्रो को लेकर यह कहा जाता है कि यह अधूरी पेंटिंग है। इस पेंटिंग को लेकर एक चर्चित थ्योरी यह भी है कि लियोनार्डो ने कभी इस पेंटिंग को पूरा किया ही नहीं। यही कारण है कि मोनालिसा की आइब्रो नहीं हैं और कई चीजें उसकी पेंटिंग में हैं ही नहीं।

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जैसे मोनालिसा की पेंटिंग में बाएं हाथ की उंगलियां भी अधूरी सी लगती हैं।

इसके उलट एक थ्योरी यह भी है कि मोनालिसा रेनेसां (Renaissance) के समय की पेंटिंग है जहां महिलाओं के फेशियल हेयर शेव करने का ट्रेंड था। उस वक्त कई महिलाएं अपनी आइब्रो भी शेव कर लेती थीं। यह थ्योरी मानती है कि मोनालिसा ने भी अपनी आइब्रो शेव कर ली होगी।

दुनिया की सबसे चर्चित पेंटिंग को लेकर इस तरह की कई थ्योरीज आपको चर्चित प्लेटफॉर्म्स पर पढ़ने को मिल जाएंगी, लेकिन साइंटिफिक रिसर्च इन दावों को सही नहीं मानती।

आपकी इस मामले में क्या राय है? क्या वाकई मोनालिसा ने आइब्रो शेव की थी या फिर वो समय के साथ पेंटिंग से मिट गईं? हमें अपने जवाब आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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