आखिर क्यों कई लग्जरी फैशन ब्रांड अपने महंगे कपड़ों को लगा देते हैं आग

दुनिया के कई बड़े-बड़े लग्जरी ब्रांड ऐसे हैं जो समय-समय पर अपने खुद के बनाए प्रोडक्ट में आग लगा देते हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है। 

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आपने कई सारे ब्रांड के कपड़े खरीदे होंगे लेकिन क्या आपको पता है कि ऐसे कई बड़े ब्रांड्स हैं जो समय-समय पर अपने खुद के बनाए प्रोडक्ट में आग लगा देते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों कई लग्जरी फैशन ब्रांड अपने महंगे कपड़ों को आग लगा देते हैं।

क्यों लगाते हैं कपड़ों में आग?

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कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 4 साल पहले बरबरी जो कि एक अमेरिका का लग्जरी फैशन ब्रांड है उसकी 3.6 अरब डॉलर की इनकम थी। उसी साल इसने 3.68 करोड़ डॉलर के प्रोडक्ट्स नष्ट किए थे। इसने अपनी सालाना रिपोर्ट्स में इस बात का भी खुलासा कर दिया था कि कंपनी कहती है कि यह उसकी मार्केटिंग स्ट्रेटजी है। (कभी बाथरूम में बैठकर बनाते थे जूते, आज हैं Adidas कंपनी के मालिक)एक और विदेशी ब्रांड है लुईस विटॉन ने भी ऐसा किया था। इन ब्रांड के अनुसार अगर वह अपने प्रोडक्ट्स को आगे लगाते हैं तो इनके मुनाफे में और अधिक बढ़ोतरी होती है।

जानें आखिर क्या है कारण?

महंगे ब्रांड्स असल में खुद के प्रोडक्ट की मांग को बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए वह अपने प्रोडक्ट्स की सप्लाई को कंट्रोल करने के लिए समय-समय पर उसे कम भी करते हैं। ये सभी बड़े ब्रांड्स हर सीजन में नए प्रोडक्ट तो लाते हैं, मगर पुराने की कीमत नहीं घटाते। इनका मानना है कि इससे इनकी ब्रॉन्ड इमेज प्रभावित होगी। (जानिए कैसे छोटी सी पूंजी से वंदना लूथरा ने शुरू किया था वीएलसीसी हेल्थ केयर लिमिटेड)इस कारण से वह पुराने कपड़ों को आग लगा देते हैं। इन बड़ी कंपनियां का उसूल इतना सख्त है कि आपको इनके पुराने प्रोडक्ट कम रेट पर यानी डिस्काउंट के साथ भी नहीं मिलेंगे। कंपनी की स्ट्रेटजी के अनुसार, ऐसा अगर यह करते हैं तो इनकी ब्रांड इमेज प्रभावित होगी। इनका यह भी मानना होता है कि डिस्काउंट पर बिकने से इनके प्रोडक्ट लग्जरी नहीं रह जाएंगे।

इनकी ब्रांड वैल्यू घट जाएगी। लोगों की नजर में ब्रांड वैल्यू बनाए रखने के लिए ये बड़ी कंपनियां इस तरीके के सख्त कम उठाती हैं। इसी कड़ी में यह अपने पुराने प्रोडक्ट को आग तक के हवाले कर देती हैं।

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आपको बता दें कि कंपनियों को इससे नुकसान नहीं होता। असल में यह हमारी नजर से नुकसान है, मगर इन कंपनियों के लिए बहुत अधिक नहीं होता है। आप इसे ऐसे समझ सकती हैं कि अगर कोई कंपनी अपना कोई प्रोडक्ट 2000 डॉलर का बेच रही है तो असल में इसकी मेकिंग बहुत कम में हुई होती। यह मेकिंग चार्ज मुश्किल से 200 डॉलर तक होता है। 1000 डॉलर वाले प्रोडक्ट का मेकिंग चार्ज 100 डॉलर तक हो सकता है। अपने प्रोडक्ट्स को जलाने से इनका नुकसान कम होता है और उनकी असल में जो रणनीति होती है वह मुनाफे के लिए होती है।

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image credit- freepik

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