Adidas Success Story: एडिडास कंपनी आज के समय किसी पहचान का मोहताज नहीं है। इस कंपनी का नाम मार्केट में बड़े कंपनी के लिस्ट में आता है। वहीं इस कंपनी के मालिक के लिए इतना कुछ करना आसान नहीं था। आज के इस आर्टिकल में हम आपको एडिडास कंपनी के मालिक से जुड़ी कुछ खास बातें बताने वाले हैं। इतनी बड़ी कंपनी खोलने के पिछे इस कंपनी के मालिक ने काफी स्ट्रगल किया है। चलिए जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें।
एडिडास कंपनी की शुरुआत एक सदी पहले हुई थीं। इस कंपनी को शुरू करने से पहले एडोल्फ डसलर ने बाथरूम में बैठकर भी जूते बनाया करते थे। वहीं बात वर्ल्ड वॉर की करें तो इस दौरान उन्होने हथियार भी बनाया था। वहीं आज की बात करें तो एडिडास कंपनी के कारण वह आज अरबपति हो चुके हैं। वहीं साल 2005 में उन्होंने रीबॉक को खरीदा था लेकिन इस कंपनी को उन्होने साल 2021 में 2.5 अरब डॉलर में बेचने का फैसला किया था।
एथलीट्स के लिए जूता किसी और ने नही बल्कि डसलर भाइयों ने बनाया था। यह बात आज की नहीं बल्कि एक सदी पहले की है। आज के समय भी अधिकतर खिलाड़ी एडिडास का जूते पहने आपको नजर आएंगे। यह जूता आज भी खिलाड़ियों की पहली पसंद है। एडिडास को एक अलग मुकाम तक पहुंचने के लिए एडोल्फ डसलर ने इस कंपनी के पीछे अपनी पूरी जिंदगी दे दी थीं।
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एडिडास की शुरुआत साल 1922 से शुरू हुई थीं। इस दौरान जर्मनी में रहने वाले एडोल्फ डसलर अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता के छोटे से बिजनेस में जूते बनाने का काम करने लगे। वही काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। जैसे तैसे जिंदगी चल ही रही थीं कि पहले विश्व युद्ध ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को पूरे तरीके से हिला कर रख दिया था। पैसों की तंगी के कारण उन्होंने किसी दुकान को नहीं लिया बल्कि मां की लॉन्ड्री के बाथरूम में बैठकर जूते बनाने का काम शुरू किया।
वहीं उस दौरान बिजली नहीं हुआ करती थीं ऐसे में वह जूते बनाने के लिए अपनी बाइक का इस्तेमाल करके बिजली बनाते थे। जिससे की वह जूतों को बना सकें। वहीं उस दौरान युद्ध में इस्तेमाल होने वाले सामानों का भी इस्तेमाल वह जूते बनाने के लिए करते थे।
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1936 की बात करें तो इस दौरान अमेरिका के जेसी ओवेन को अपने शूज पहनने के लिए मना लिया था। कहा जाता था कि उस दौर में जेसी ओवेन दुनिया भर में सबसे तेज दौड़ने वाले शख्स थे। उस ओलंपिक में जेसी ने 4 गोल्ड मेडल जीते और देखते ही देखते एडोल्फ के जूतों की मांग आसमान में जा पहुंची।
बता दें कि 1949 में एडोल्फ ने अपनी कंपनी का नाम बदलकर एडिडास कर दिया। वह गेम को काफी पसंद करते थे। ऐसे में वह यह भी चाहते थे कि दुनिया का हर एथलीट उनकी कंपनी के जूते पहने। वहीं आज के बात करें तो आज इस कंपनी के जूते को आम जनता भी पहनना काफी ज्यादा पसंद करती हैं।
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